नई दिल्ली/ढाका : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बांग्लादेश के दो दिवसीय दौरे से लौट आए हैं। बांग्लादेश दौरे के दौरान उन्होंने ईश्वरीपुर गांव स्थित प्रचीन जेशोरेश्वरी काली मंदिर में पूजा-अर्चना की तो मतुआ समुदाय के लोगों से भी मुलाकात की, जिनकी भूमिका बंगाल चुनावों में अहम समझी जाती है। बांग्लादेश में पीएम मोदी के मंदिर दर्शन को लेकर सियासी हमले भी हो रहे हैं, जिस पर विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने सफाई दी है।
क्या बोले विदेश सचिव?
उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के मंदिर दर्शन को व्यापक संदर्भ में देखा जाना चाहिए। प्रधानमंत्री जब 2015 में बांग्लादेश के दौरे पर पहुंचे थे, तब भी उन्होंने जेशोरेश्वरी काली मंदिर के साथ-साथ ओरकांडी में ठाकुरबाड़ी जाने की इच्छा जताई थी, लेकिन कई कारणों से ऐसा हो नहीं पाया था। अब इस दौरे के दौरान मौका मिला तो प्रधानमंत्री इन मंदिरों में गए।
उन्होंने यह भी कहा कि यह लंबे समय से प्रायोजित था और यह भारत-बांग्लादेश की साझा ऐतिहासिक-सांस्कृतिक विरासत के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है। इसलिए इसे व्यापक संदर्भ में देखा जाना चाहिए।
पीएम के मंदिर दर्शन पर सियासत
विदेश सचिव का यह बयान इन चर्चाओं के बीच आया है, जिनमें कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव को देखते हुए इन मंदिरों में गए और अगर ऐसा नहीं है तो वह 2015 में भी इन स्थानों पर क्यों नहीं गए। खास कर पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस इस मसले को लेकर बीजेपी के खिलाफ हमलावर तेवर अपनाए हुए है।