- गर्भवती महिला को लेकर उसका परिवार 13 घंटे तक अस्पतालों के चक्कर काटता रहा
- सभी ने प्रसव के लिए उसे भर्ती करने से किया इंकार और अंतत: महिला की हुई मौत
- गर्भवती महिला की मौत के मामले में नोएडा के डीएम ने दिए जांच के आदेश
नोएडा: दिल्ली से सटे यूपी के नोएडा में एक ऐसा मामला सामने आया है जो हैरान करने वाला है। यहां एक 8 महीने की एक गर्भवती महिला को लेकर उसका परिवार 13 घंटे तक अस्पतालों के चक्कर काटता रहा लेकिन एक भी अस्पताल में उसे प्रसव के लिए जगह नहीं मिल सकी और अंतत: एंबुलेंस में ही उसकी मौत हो गई है। मामला सुर्खियों में आने के बाद गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी इसकी जांच के लिए एक समिति बनाई है।
कई अस्पतालों के लगाए चक्कर
परिवार ने पीटीआई को बताया कि 30 वर्षीय नीलम और उनके पति विजेंद्र सिंह ने बताया कि उनकी पत्नी गर्भवती थी और प्रसव पीड़ा के बाद परिजन ऑटो रिक्शा से सेक्टर-24 स्थित कर्मचारी राज्य बीमा निगम के अस्पताल पहुंचे। जहां डॉक्टरों ने उसे भर्ती करने से मना कर दिया है। इसके बाद उन्होंने एक-एक कर लगभग 8 अस्पतालों का दरवाजा खटखटाया लेकिन कहीं भी बेड नहीं मिला और अंत में 13 घंटे बाद नीलम की एंबुलेंस में ही मौत हो गई।
डीएम ने दिए जांच के आदेश
मौत और दावे को संज्ञान में लेते हुए गौतम बौद्ध नगर जिला प्रशासन ने मामले की जांच का आदेश दिया। खोड़ा के रहने वाले नीलम के पति ने कहा कि वह नोएडा-गाजियाबाद सीमा से लगी खोड़ा कॉलोनी में रहते हैं। नीलम आठ महीने की गर्भवती थी और शिवालिक अस्पताल में उसका इलाज चल रहा था। शुक्रवार को अस्पताल ने एडमिट करने से मना कर दिया और वहां से जाने के लिए मजबूर कर दिया।
इतने अस्पतालों में एक भी बेड खाली नहीं
सोशल मीडिया में एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें शख्स कह रहा है कि, 'पहले हम ईएसआई अस्पताल गए। उसके बाद में सेक्टर 30 स्थित स्थित (चाइल्ड पीजीआई) गए। उसके बाद हम शारदा अस्पताल और फिर जिम्स ग्रेटर नोएडा गए। लेकिन सभी ने भर्ती करने से इंकार कर दिया।' वीडियो में शख्स कह रहा है कि उन्होंने जेपी, फोर्टिस जैसे अस्पतालों में भर्ती करने का प्रयास किया लेकिन उन्होंने बेड नहीं होने का हवाला देते हुए भर्ती करने से इंकार कर दिया। अंत में जब हमें जिम्स में वेंटिलेटर मिला तब तक देर हो चुकी थी और कुल मिलाकर हमारी एंबुलेंस में ही मौत हो गई।
जिलाधिकारी ने तत्काल कार्रवाई करने के दिए आदेश
शख्स बताता है कि ग्रेटर नोएडा स्थित एक अस्पताल में कोविड-19 की जांच के लिए उनसे पांच हजार रुपए लिये, लेकिन थोड़ी देर बाद ही उन्हें अस्पताल से भगा दिया गया, उनके पैसे भी वापस नहीं किए गए। जिला सूचना अधिकारी राकेश चौहान ने बताया कि इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी सुहास एल वाई ने अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व मुनींद्र नाथ उपाध्याय तथा मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ दीपक ओहरी को इसकी जांच सौंपी है। जिलाधिकारी ने दोनों अधिकारियों को इस प्रकरण में तत्काल जांच करते हुए कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।