- निर्भया के सभी चारों दोषियों को सुनाई गई है फांसी की सजा
- 20 मार्च को तिहाड़ जेल में दी जाएगी फांसी
- मुकेश सिंह की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है
नई दिल्ली। अगर निर्भया के दोषी ताल तिकड़म से कुछ और दिनों के लिए बच निकलने में नाकाम रहे तो गुरुवार का दिन उनकी जिंदगी का आखिरी दिन होगा। करीब साढ़े सात साल बाद एक मां को अंतिम न्याय मिलेगा जिसकी बेटी अब इस दुनिया में नहीं है। मुकेश की अर्जी पर आज सुनवाई होनी है। लेकिन इन चारों की करतूत से कई परिवार तबाह हो गए। निर्भया के दोषियों में से जब एक ने कहा कि अगर फांसी देने के बाद इस देश में रेप रुक जाएंगे तो वो फांसी के तख्ते पर लटकने के लिए तैयार हैं। इस सवाल के कई तरह के जवाब हो सकते हैं।
परिवार वालों की अंतिम मुलाकात
निर्भया के तीन दोषियों से उनके परिजनों ने अंतिम मुलाकात की है। तीनों दोषियों के परिवारवालों की मुलाकात बंद कमरे में हुई। अक्षय के परिवारवाले अभी उससे मिलने नहीं आए हैं, उसकी पत्नी और माता पिता को मुलाकात के लिए बुलाया गया है। बता दें कि अक्षय की पत्नी ने फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी भी दाखिल की है। अक्षय की पत्नी का कहना है कि वो विधवा बनकर नहीं जीना चाहती है।
अक्षय के परिजन नहीं मिले
बताया जा रहा है कि पवन गुप्ता और विनय शर्मा के परिजनों ने 29 फरवरी को मुलाकात की थी। मलाकात के दौरान परिजन और दोषी रोते रहे। उन्हें सांत्वना देने के लिए जेल के कर्मचारी सामने आए। उन्होंने ढांढस बंधाया। 2 मार्च को मुकेश सिंह से उसके परिवार वाले मिले थे। मुलाकात के दौरान मुकेश खोया खोया रहा । मुलाकात के दौरान मुकेश ने बताया था कि अभी भी उसके पास कुछ कानूनी विकल्प है। दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को मुकेश की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें उसने कहा था कि निर्भया गैंगरेप के दौरान वह दिल्ली में नहीं था।
पुतलों का लटकाया गया
निर्भया के गुनहगारों को फांसी देने से पहले चार पुतलों को एक साथ लटकाया गया। पूरी प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग भी की गई ताकि किसी तरह की खामी से बचा जा सके। पुतलों को फांसी पर लटकाने से पहले जल्लाद ने अधिकारी के इशारे का इंतजार किया और इशारा मिलते ही लीवर को खींच दिया। लीवर खींचते ही तख्त के फट्टे खुल गए और पुतले तहखानें में चले गये।
ताकि कोई कसर न रह जाए
चारों पुतलों को करीब आधे घंटे तक लटके रहने दिया था। जेल अस्पताल के वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश के बाद शवों को उतारा गया और पोस्टमार्टम का आदेश दिया गया ताकि यह पुरी तरह पुख्ता हो सके अब उनकी शरीर में जान नहीं बची हुई है। जेल अधिकारियों का कहना है कि यह एक प्रक्रिया है जिसे पूरा करना जरूरी होता है।