- 2011 की जनगणना के अनुसार देश में आदिवासियों की 10 करोड़ से ज्यादा आबादी है।
- गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, त्रिपुरा में 2024 के पहले विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।
- भाजपा, बिखरे आदिवासी वोटर को एक वोट बैंक के रुप में देख रही है और इसके लिए उसने पहला दांव चल दिया है।
Droupadi Murmu and Tribal Politics: राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्मू की जीत भविष्य में बदलती राजनीति के संकेत दे रही है। जिस तरह, देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति के रूप में दलगत राजनीति से ऊपर उठकर मुर्मू को समर्थन मिला है। उससे यह साबित हो रहा है कि आने वाले दिनों में राजनीति आदिवासी समुदाय एक बड़े वोट बैंक के रुप में नजर आएगा। और इसके सबूत राष्ट्रपति चुनाव में हुई क्रॉस वोटिंग से मिल गए हैं। चुनाव में 17 सांसद और 126 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर द्रौपदी मुर्मू का समर्थन किया है। यानी इन 143 जन प्रतिनिधियों ने अपनी पार्टी की बात नहीं मानकर, अपनी राजनीतिक गुणा-गणित को देखते हुए मुर्मू के पक्ष में वोटिंग की है। इतने बड़े पैमाने पर हुई वोटिंग से यह भी बात साफ हो गई है कि विपक्षी दलों में बाहरी एकजुटता के साथ-साथ आंतरिक एकजुटता भी कम हो रही है।
मुर्मू के पक्ष में किस तरह हुई क्रॉस वोटिंग
चुनाव से पहले जिस तरह विपक्ष की एकजुटता में सेंध लगी थी, उसे देखते हुए यह उम्मीद थी कि उन्हें 61 फीसदी मिल जाएंगे। उन्हें झामुमो, उद्धव गुट की शिव सेना, शिरोमणि अकाली दल के अलावा बीजू जनता दल, जेडी (एस), तेलगुदेशम पार्टी, वाईएसआर कांग्रेस सहित अन्य दलों का साथ मिल गया था। लेकिन जब चुनाव परिणाम सामने आए तो वह और चौंकाने वाले थे। और मुर्मू को करीब 64 फीसदी मतों के साथ 676803 वोट मिले। जबकि विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को 380177, जबकि विपक्ष के गणित के अनुसार उन्हें 4 लाख से ज्यादा वोट मिलने चाहिए थे।
टाइम्स नाउ नवभारत की रिपोर्ट के अनुसार प्रमुख रुप से मुर्मू को अमस में 22 विधयाक, बंगाल में टीएमसी के 2 विधायक, मेघालय में 7 ,बिहार में 6,छत्तीसगढ़ 6, एमपी में 19,गुजरात में 10, यूपी में 12 , राजस्थान में 5,गोवा में 4 और केरल में एक विधायक का सर्मथन हासिल हुआ है। कुल मिलाकर उन्हें सभी राज्यों से 126 विधायक और 17 सांसदों का समर्थन प्राप्त हुआ।
आदिवासी बनेंगे वोट बैंक
अगर देश में आदिवासियों की स्थिति को देखा जाय तो 2013 में भारत सरकार द्वारा आदिवासियों पर तैयार की गई रिपोर्ट और 2011 की जनगणना के अनुसार देश में आदिवासियों की 10 करोड़ से ज्यादा आबादी है। और पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के अलावा देश के सभी इलाकों में आदिवासी समुदाय रहता है। इसमें भी मेघालय, मिजोरम, नागालैंड ऐसे राज्य हैं, जहां पर 86 फीसदी से ज्यादा आदिवासी समुदाय की आबादी है। इसके अलावा झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़,राजस्थान,मध्य प्रदेश, गुजरात, जम्मू और कश्मीर में 10 फीसदी से लेकर 35 फीसदी तक आबादी है। जबकि दूसरे राज्यों में 10 फीसदी तक आबादी है। साफ है कि हर राज्य में वोटर के रूप में उनकी राजनीतिक हैसियत है।
द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति चुनाव जीता, मिले 64% से अधिक मत, यशवंत सिन्हा को मिले 380177 वोट
लोक सभा की 60 सीटों पर सीधा असर
अकेले लोक सभा चुनाव में करीब 60 लोकसभा सीटों पर आदिवासी समुदाय का असर है। इस समय 543 सदस्यों वाली लोक सभा में 47 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। इसके अलावा करीब 13 सीटें ऐसी हैं जहां पर आदिवासी समुदाय सीधा असर डालता है। गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, त्रिपुरा में 2024 के पहले विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसे देखते हुए भाजपा ने देश के 1लाख से ज्यादा आदिवासी बहुल इलाकों में मुर्मू के जीत की जश्न की तैयारी कर ली है। साफ है कि भाजपा, बिखरे आदिवासी वोटर को एक वोट बैंक के रुप में देख रही है और इसके लिए उसने पहला दांव चल दिया है। और इसकी अनदेखी विपक्ष नहीं कर सकता है। इसीलिए मोदी के खिलाफ हमेशा खड़ी होने वाली ममता बनर्जी के भी तेवर अब बदलते नजर आ रहे हैं।