- राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण पर गंभीरता से विचार जरूरी
- एक इंटरव्यू के दौरान राष्ट्रपति बोले- वरना ऐसी आपदाओं से हो सकते हैं भीषण परिणाम
- राष्ट्रपति के बयान के बाद ट्विटर पर उठी जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने की मांग
नई दिल्ली: देश में कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं ऐसे में इस संक्रमण को रोकने के लिए सरकार तमाम एहतियाती कदम उठा रही है। देश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को लेकर राष्ट्रपति ने भी चिंता जताई है। एक अखबार के साथ बातचीत करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि मैंने मानव जीवन को विश्वव्यापी स्तर पर प्रभावित करने वाली ऐसी किसी चुनौती को नहीं देखा है। राष्ट्रपति ने कहा कि हर प्राकृतिक आपदा कोई ना कोई सीख देती है।
जनसंख्या नियंत्रण जरूरी
राष्ट्रपति ने कहा कि इस आपदा से हम जरूर निपटेंगे और इसके बाद भारत और अधिक आत्मनिर्भर बनकर उभरेगा। राष्ट्रपति ने कहा कि यह एक ऐसा समय है जब जनसंख्या नियंत्रण पर गंभीरता से विचार करना जरूरी है। राष्ट्रपति ने कहा, 'भारत जैसे बड़े और घनी आबादी वाले देशों को विशेष रूप से जनसंख्या नियंत्रण के विषय पर सुविचारित कदम उठाने होंगे। अन्यथा हमारे देश में ऐसी आपदाओं के भीषण परिणाम हो सकते हैं।'
ट्विटर पर हुआ ट्रेंड
राष्ट्रपति ने जैसे ही जनसंख्या नियंत्रण को लेकर ट्वीट किया तो कुछ ही देर बाद यह ट्विटर पर नंबर 1 ट्रेंड बन गया। लोग #PopulationControlLaw के साथ ट्वीट कर जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने की मांग करने लगे। खुद बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने ट्वीट करते हुए कहा, 'प्रिय साथियों, माननीय राष्ट्रपति जी ने जनसंख्या विस्फोट पर अपनी चिंता जाहिर किया है। कृपया #PopulationControlLaw हैशटैग प्रयोग करें और जनसंख्य वृद्धि से उत्पन्न होने वाली समस्याओं को ट्वीट करें।'
समय-समय पर उठती रही है मांग
आपको बता दें कि जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग समय-समय पर उटती रही है। हाल ही में खुद अश्विनी उपाध्याय ने इस बारे में पीएम मोदी को खत लिखकर प्रभावी जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की मांग की थी। कई और नेता भी इस तरह की मांग पहले उठा चुके हैं। खुद पीएम मोदी ने 15 अगस्त, 1019 को लाल किले की प्राचीर से जनसंख्या विस्फोट पर चिंता जताई थी।
पीएम मोदी भी जता चुके हैं चिंता
तब पीएम मोदी ने भाषण देते हुए कहा था, 'जनसंख्या विस्फोट हमारे लिए, हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए अनेक नए संकट पैदा करता है लेकिन यह बात माननी होगी कि हमारे देश में एक जागरूक वर्ग है, जो इस बात को भली-भांति समझता है। वे अपने घर में शिशु को जन्म देने से पहले भली-भांति सोचता है कि मैं कहीं उसके साथ अन्याय तो नहीं कर दूंगा। सकी जो मानवीय आवश्यकताएं हैं उनकी पूर्ति मैं कर पाऊंगा कि नहीं कर पाऊंगा, उसके जो सपने हैं, वो सपने पूरा करने के लिए मैं अपनी भूमिका अदा कर पाऊंगा कि नहीं कर पाऊंगा।'