नई दिल्ली: सतनाम सिंह को यूएई में उसकी कंपनी से दो साल के बाद दो महीने की छुट्टी मिली। वह भारत शादी करने आया था, लेकिन यहां आकर उसकी योजना बदल गई। सिंह को 29 नवंबर को पंजाब के जालंधर जिले में अपने घर पहुंचने के बाद पता चला कि उसके बड़े भाई और उसके गांव के किसान तीन कृषि कानून के खिलाफ सिंघू बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
29 वर्षीय सतनाम ने अपने माता-पिता के साथ सिर्फ दो दिन बिताए, एक नई मोटरसाइकिल खरीदी और एक दोस्त के साथ दिल्ली-हरियाणा सीमा के लिए निकल पड़े। अबू धाबी की एक कंपनी में प्लम्बर के रूप में काम करने वाले सिंह का कहना है, 'शादी टाली जा सकती है। नौकरी भी टाली जा सकती है।' सिंह के माता-पिता ने उसे छुट्टी के दौरान शादी करने के लिए कहा लेकिन उसने प्रदर्शनस्थल पर रूकने को तरजीह दी।
उससे जब यह पूछा गया कि उनकी प्रदर्शन स्थल पर कब तक रहने की योजना है, तो सतनाम सिंह ने कहा कि यह लड़ाई जीतने तक यहीं रहेगा। उसने कहा, 'अबू धाबी में नौकरी करने से पहले मैं एक किसान था। मुझे पहले अपने खेतों को बचाने की जरूरत है।'
गौरतलब है कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के हजारों किसान तीन सप्ताह से अधिक समय से दिल्ली के कई बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं, उनकी मांग है कि नए कृषि कानूनों को निरस्त किया जाए क्योंकि उनको आशंका है कि इससे कॉरपोरेट को फायदा होगा और पारंपरिक थोक बाजार मंडी समाप्त हो जाएंगी और न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था खत्म हो जाएगी।