- राजस्थान में सियासी संकट बना हुआ है
- अशोक गहलोत चाहते हैं कि राज्यपाल विधानसभा का सत्र बुलाएं
- राज्यपाल ने अभी तक इस पर फैसला नहीं किया है
नई दिल्ली: राजस्थान के जयपुर के फेयरमोंट होटल में कांग्रेस विधायक दल (CLP) की बैठक हुई। इस बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि जरूरत पड़ने पर हम राष्ट्रपति से मिलने राष्ट्रपति भवन जाएंगे। इसके अलावा, यदि आवश्यकता हुई तो हम पीएम के आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन करेंगे। दरअसल, कांग्रेस चाहती है कि राज्यपाल विधानसभा का सत्र बुलाएं, जहां गहलोत अपना बहुमत साबित करें। लेकिन राज्यपाल ने अभी तक इस फैसला नहीं लिया है।
विधानसभा सत्र बुलाए जाने की कैबिनेट के प्रस्ताव पर राजभवन द्वारा उठाए गए बिंदुओं पर चर्चा हुई। राजभवन ने छह बिंदुओं पर जवाब मांगा है। राजभवन द्वारा जिन छह बिंदुओं को उठाया गया है उनमें से एक यह भी है कि राज्य सरकार का बहुमत है तो विश्वास मत प्राप्त करने के लिए सत्र आहूत करने का क्या औचित्य है? इसके साथ ही इसमें कहा गया है कि विधानसभा सत्र किस तिथि से आहूत किया जाना है, इसका उल्लेख केबिनेट नोट में नहीं है और ना ही कैबिनेट द्वारा कोई अनुमोदन किया गया है।
राजस्थान में उल्टी गंगा बह रही : गहलोत
इससे पहले शुक्रवार को गहलोत ने कहा था कि राज्य में उल्टी गंगा बह रही है जहां सत्ता पक्ष खुद विधानसभा का सत्र बुलाना चाहता है और विपक्ष के नेता कह रहे हैं कि हम तो इसकी मांग नहीं कर रहे। गहलोत ने राजभवन में राज्यपाल कलराज मिश्र के साथ मुलाकात के बाद कहा, 'हमारी कैबिनेट ने विधानसभा का सत्र बुलाने का फैसला किया। पहल हमने की। उसका विपक्ष को भी स्वागत करना चाहिए। यही परंपरा रही है लोकतंत्र की। यहां उल्टी गंगा बह रही है, हम कह रहे हैं कि हम सत्र बुलाएंगे और अपना बहुमत सिद्ध करेंगे। कोरोना वायरस और बाकी मुद्दों पर चर्चा करेंगे। राज्यपाल हमारे संवैधानिक मुखिया हैं। हमने उनसे आग्रह किया। मुझे यह कहते हुए संकोच नहीं है कि बिना ऊपर के दबाव के वह इस फैसले को रोक नहीं सकते थे क्योंकि राज्य कैबिनेट का जो फैसला होता है राज्यपाल उससे बंधे होते हैं।'