- यूपी सरकार ने सभी जिलाधिकारियों और एसपी को निर्देश दिए कि किसानों के धरनास्थल को खाली कराएं
- गाजियाबाद जिला प्रशासन ने गाजीपुर बार्डर से किसानों को हटने के आदेश जारी किए थे।
- गाजीपुर से किसानों के टेंट हटाए जा रहे हैं
नई दिल्ली। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने अनशन शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि अब पानी नहीं पीऊंगा। इसके साथ ही अब गांव से पानी आने पर पीएंगे। बता दे कि प्रशासन ने सभी सुविधाओं को हटा लिया है। इससे पहले उन्होंने कहा कि देश के किसान के साथ अत्याचार किया जा रहा है। कानूनों की वापसी तक आंदोलन जारी रहेगा। वो धरने वाली जगह को खाली नहीं करेंगे।
राकेश टिकैत ने क्या कहा
राकेश टिकैत ने कहा कि पुलिस के साथ बीजेपी विधायक आए हैं, किसानों के साथ अत्याचार हो रहा है। बीजेपी किसानों का बर्बाद कर रही है। किसानों को बर्बाद नहीं होने दूंगा। उ्न्होंने कहा कि बीजेपी साजिश रच रही है, बीजेपी ने पूरे किसान आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश की गई। वो बार बार एक ही सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है जिन्होंने हंगामा किया।
अब तक क्या हुआ
- गाजीपुर बॉर्डर पर धारा 144 लागू।
- बड़ी संख्या में RAF, पुलिस बल की तैनाती ।
- गाजीपुर बॉर्डर पर बस लगाई गई।
- गाजीपुर बॉर्डर पर ब्रज वाहन भी लगाई गई।
लालकिले पर उत्पात, टिकैत ने केंद्र सरकार को घेरा
लालकिले पर किसने हिंसा की उसके बारे में सरकार बताए। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट जांच कराए कि हिंसा किसने कराई। यह पूरे देश को पता होना चाहिए कि लाल किला पर वो शख्स कौन था और किससे जुड़ा था। लालकिले पर जिसने झंडा फहराया उसके दो महीने के कॉल रिकॉर्ड्स की जांच होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जिन लोगों ने झंडा फहराया वो आंदोलनकारी नहीं हैं। तिरंगे का जिस तरह अपमान हुआ वो बर्दाश्त नहीं है।
26 जनवरी को दिल्ली में हुई थी हिंसा
26 जनवरी की घटना के बाद दिल्ली पुलिस ने उन सभी किसान संगठनों के नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी जिन्होंने शांतिपूर्ण तरीके से ट्रैक्टर परेड निकालने का वादा किया था। लेकिन 26 जनवरी को आईटीओ और लालकिले पर जमकर उत्पात मचाया था। दिल्ली में आंदोलनकारियों के उत्पात के बाद दिल्ली पुलिस के 394 जवान चोटिल हो गए थे।
बता दें कि 26 जनवरी की हिंसा के बाद यूपी के तीन किसान संगठनों ने अपने आपको आंदोलन से अलग कर लिया। वी एम सिंह की राष्ट्रीय किसान संगठन और भारतीय किसान यूनियन भानू गुट के बाद भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति ने भी अपने आप को किसान आंदोलन से अलग कर लिया। बीकेयू लोकशक्ति के मास्टर श्यौराज सिंह ने कहा था कि वो 26 जनवरी की हिंसा से व्यथित हैं।