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Transgender Reservation Karnataka: सरकारी सेवाओं में ट्रांसजेंडर को आरक्षण, कर्नाटक बना पहला राज्य

Updated Jul 21, 2021 | 10:58 IST

कर्नाटर सरकार ने ट्रांसजेंडर के संबंध में बड़ा फैसला किया है। सरकारी सेवाओं में अब 1 फीसद आरक्षण मिलेगा।

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सरकारी सेवाओं में ट्रांसजेंडर को आरक्षण, कर्नाटक बना पहला राज्य
मुख्य बातें
  • कर्नाटक में सरकारी सेवाओं में ट्रांसजेंडर को एक फीसद आरक्षण
  • कर्नाटक हाईकोर्ट में भी दायर की गई थी अर्जी
  • अगर दूसरी पीआईएल दायर हुई तो सरकार को निर्देश देने के बारे में अदालत सोचेगी

बेंगलुरु।  कर्नाटक सभी सरकारी सेवाओं में 'ट्रांसजेंडर' समुदाय के लिए एक प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। सरकार ने इस संबंध में उच्च न्यायालय को एक रिपोर्ट सौंपी, जिसमें बताया गया कि कर्नाटक सिविल सेवा (सामान्य भर्ती) नियम, 1977 में संशोधन के बाद एक अधिसूचना पहले ही जारी की जा चुकी है।

कर्नाटक में ट्रांसजेंडर को 1 फीसद आरक्षण
6 जुलाई को जारी अंतिम अधिसूचना में सभी सामान्य और साथ ही तीसरे लिंग के लिए आरक्षित श्रेणियों में एक प्रतिशत आरक्षण तय किया गया है। जब भी सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन आमंत्रित करने वाली अधिसूचना प्रकाशित की जाती है, तो पुरुष और महिला कॉलम के साथ 'अन्य' कॉलम जोड़ा जाना चाहिए। अधिसूचना में यह भी रेखांकित किया गया है कि चयन की प्रक्रिया में ट्रांसजेंडरों के साथ कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।

दायर की गई थी पीआईएल
अधिसूचना नोट में कहा गया है कि ट्रांसजेंडर उम्मीदवारों की अनुपलब्धता के मामले में, उसी श्रेणी के पुरुष या महिला को नौकरी दी जा सकती है।मुख्य न्यायाधीश ए.एस. ओका ने मंगलवार को मामले की सुनवाई की है। एक एनजीओ 'संगामा' ने राज्य विशेष रिजर्व कांस्टेबल फोर्स और बैंड्समैन पोस्टिंग में नौकरी के अवसरों से इनकार करने के लिए उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की थी।
सरकार की ओर से पेश लोक अभियोजक विजय कुमार पाटिल ने पीठ को सूचित किया कि सरकार ने मौजूदा नियम में संशोधन लाकर सरकारी भर्तियों में एक प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण प्रदान किया है।हाई कोर्ट की डिविजनल बेंच ने उनसे कहा कि अगर इस संबंध में अलग से याचिका दायर की जाती है तो वह सरकार को निर्देश देने पर विचार करेगी। पीठ ने केंद्र सरकार की ओर से पेश होने वाले अभियोजक से इस मामले पर अपना रुख स्पष्ट करने को भी कहा है। हाईकोर्ट ने सरकार के इस कदम का स्वागत और सराहना की।

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