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ओपी राजभर को BSP नेता ने बता दिया स्वार्थी, बोले- बहन जी के सहारे चलाना चाहते हैं सियासी दुकान, रहें सावधान

Updated Jul 26, 2022 | 07:49 IST

आनंद का यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर बसपा से हाथ मिलाने की ख्वाहिश जता रहे हैं।

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
जनसभा को संबोधित करते ओपी राजभर।
मुख्य बातें
  • SP से हाल ही में टूटा SBSP का नाता
  • BSP से राजभर के संबंध बनाने के प्रयासों के बीच आया बयान
  • BJP के साथ भी ओपी कर चुके हैं गठजोड़

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओमप्रकाश राजभर के समाजवादी पार्टी (सपा) से नाता तोड़कर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से संबंध बढ़ाने की कोशिशों के बीच बसपा के राष्ट्रीय संयोजक आकाश आनंद ने सोमवार को कहा कि ऐसे 'स्वार्थी' लोगों से सावधान रहने की जरूरत है।

आनंद ने सोमवार को किए एक ट्वीट में किसी का नाम लिए बगैर कहा "बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के शासन,प्रशासन, अनुशासन की पूरी दुनिया तारीफ करती है। लेकिन कुछ अवसरवादी लोग भी बहन जी के नाम के सहारे अपनी राजनीतिक दुकान चलाने की कोशिश करते हैं। ऐसे स्वार्थी लोगों से सावधान रहने की जरूरत है।"

BSP से मिलेंगे SBSP के हाथ?
आनंद का यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर बसपा से हाथ मिलाने की ख्वाहिश जता रहे हैं। उन्होंने रविवार को जौनपुर में संवाददाताओं से बातचीत में कहा था कि उनका व्यक्तिगत रुप से मानना है कि अब बसपा से हाथ मिलाया जाना चाहिए।

अखिलेश से हाल में हुआ है 'तलाक'
दरअसल, सपा अध्यक्ष की दो टूक के बाद सुभासपा अध्यक्ष साफ कर चुके हैं कि सपा से उनका गठबंधन टूट चुका है। उन्होंने कहा कि अखिलेश चाचा शिवपाल सिंह यादव और भाभी अपर्णा यादव तक को नहीं संभाल पाए, तो हमें कहां से संभालेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि अखिलेश अपने आगे किसी की नहीं सुनते। पिछले कुछ वक्त से तनातनी के बाद सपा ने आलोचना कर रहे राजभर और शिवपाल को हाल में पत्र जारी कर कहा था कि उन्हें जहां ज्यादा सम्मान मिले वहां जाने के लिए वे आजाद हैं।

SP से लेकर BJP संग राजभर कर चुके हैं गठजोड़ 
राजभर की पार्टी उत्तर प्रदेश का पिछला विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर लड़ी थी और उसे छह सीटों पर जीत हासिल हुई थी। राजभर ने वर्ष 2017 का विधानसभा चुनाव भाजपा के साथ मिलकर लड़ा था और उनकी पार्टी सरकार में भी शामिल हुई थी लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मतभेदों के कारण वह सरकार से अलग हो गई थी। (भाषा इनपुट्स के साथ) 

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