- शुक्रवार को मुंबई में हुई थी प्रशांत किशोर और शरद पवार के बीच मुलाकात
- कुछ दिन पहले ही दिल्ली में उद्धव ठाकरे ने की थी पीएम मोदी से मुलाकात
- सियासी मुलाकातों के बाद तमाम तरह के लगाए जा रहे हैं कयास
नई दिल्ली: देश में सियासी समीकरण लगातार बदल रहे हैं, वो चाहे दिल्ली हो या फिर बंगाल, चाहे फिर पंजाब। महाराष्ट्र में इसी तरह की सुगबुगाहट को उस समय बल मिला जब चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने एनसीपी मुखिया शरद पवार से मुलाकात की। पवार और पीके के बीच हुई इस मुलाकात के बाद कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।
पवार से मिले प्रशांत किशोर
राकांपा अध्यक्ष शरद पवार के घर पर शुक्रवार दोपहर में हुई इस बैठक के बारे में प्रतिक्रिया देते एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने इसे एक निजी मुलाकात बताते हुए अफवाहों को दूर करने की कोशिश की। प्रशांत किशोर ने भी बैठक को “सद्भावना” दौरा कहा और उन सभी नेताओं को “धन्यवाद यात्रा” का हिस्सा बताया, जिन्होंने उस राज्य में विधानसभा चुनाव के दौरान तृणमूल कांग्रेस और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ एकजुटता व्यक्त की थी।
संजय राउत ने की थी पीएम की तारीफ
कुछ दिन पहले ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने पीएम मोदी से अलग से मुलाकात की थी। इस दौरान दोनों नेताओं में करीब आधे घंटे से ज्यादा तक चली बैठक के बाद उद्धव ने कहा था कि पीएम के साथ उनके रिश्ते आज भी कायम हैं भले ही उनके साथ हमारा गंठबंधन टूट गया हो। मुलाकात के बाद शिवसेना नेता संजय राउत ने भी पीएम की तारीफ करते हुए कहा, 'मेरा मानना है कि नरेंद्र मोदी देश और भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेता हैं। इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि पिछले 7 सालों में भाजपा को जो सफलता मिली है वह सिर्फ नरेंद्र मोदी की वजह से है।' उद्धव और पीएम की मुलाकात के बाद चर्चाओं का दौर शुरू हो गया था और कहा जा रहा था कि महाराष्ट्र में भी सियासी समीकरण उलट सकते हैं।
पवार ने कयासों पर लगाया विराम
पार्टी नेताओं की एक छोटी सभा को संबोधित करते हुए, पवार ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच दिल्ली की बैठक से उत्पन्न अटकलों पर भी विराम लगा दिया। उन्होंने कहा, 'राकांपा कांग्रेस और शिवसेना के साथ काम करेगी और विधानसभा और लोकसभा दोनों चुनावों में सफल होगी।' राकांपा नेता और मंत्री नवाब मलिक ने कहा, "जब पवार और किशोर मिल रहे हैं तो राष्ट्रीय और राज्य की राजनीति पर चर्चा होना स्वाभाविक है।"