- लॉकडाउन के चलते राजस्थान में लाखों की संख्या में फंसे हैं प्रवासी लोग
- दूसरे प्रदेशों को नागरिकों को उनके गृह राज्य भेजने का हो रहा प्रबंध
- मुख्यमंत्री गहलोत ने प्रवासियों के लिए विशेष ट्रेनें चलाने की मांग की है
जयपुर (राजस्थान) : राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने गुरुवार को कहा कि उनके राज्यों में फंसे दूसरे प्रदेशों के लोगों को निकालने के लिए केंद्र सरकार को विशेष ट्रेनें चलानी चाहिए। गहलोत ने विशेष ट्रेनें चलाए जाने की मांग करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। लॉकडाउन (Lockdown) के चलते राजस्थान में बड़ी संख्या में दूसरे प्रदेशों के छात्र एवं पर्यटक फंसे हुए हैं। इनमें कोटा में बड़ी संख्या में छात्र भी हैं। बता दें कि गृह मंत्रालय ने बुधवार को एक बड़ा फैसला करते हुए राज्यों एवं केंद्रप्रशासित प्रदेशों में फंसे प्रवासी मजदूरों, छात्रों, पर्यटकों एवं तीर्थयात्रियों को शर्तों के साथ निकालने की इजाजत दे दी है। गृह मंत्रालय के इस पहल का राजस्थान के मुख्यमंत्री ने स्वागत किया है।
राजस्थान सरकार ने की है रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था
गहलोत ने अपने एक बयान में कहा, 'राजस्थान से जो लोग अपने गृह राज्य जाना चाहते हैं हमने उके लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था की है। इस पोर्टल पर बुधवार रात तक करीब छह लाख 35 हजार लोगों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया है।' गत 27 अप्रैल को गहलोत ने कहा कि दूसरे राज्यों के राजस्थान में फंसे मजदूर शीघ्र ही अपने गृह राज्य के लिए रवाना होंगे। उन्होंने लोगों से इन लोगों के लिए हरसंभव मदद देने की अपील की।
कोटा में फंसे हैं कई राज्यों के छात्र
राजस्थान के कोटा में हर साल बड़ी संख्या में छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए आते हैं। बताया जा रहा है कि लॉकडाउन के दौरान गहलोत सरकार ने करीब 30 हजार कोचिंग छात्रों को वहां से निकालने में मदद की है। इसके अलावा राजस्थान सरकार अन्य प्रदेशों के प्रवासी लोगों को भेजने के लिए अन्य राज्य सरकारों के साथ लगातार संपर्क में है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रवासी लोग अपने घर लौटना चाहते हैं।
गृह मंत्रालय ने दी है इजाजत
दूसरे राज्यों में फंसे हुए लोगों को अपने गृह राज्य भेजे जाने का गृह मंत्रालय का फैसला महत्वपूर्ण है। गृह मंत्रालय ने हालांकि इसके लिए कुछ शर्तें भी लगाई हैं। जैसे कि राज्यों को एक-दूसरे के यहां से अपने नागरिकों को वापस लाने के लिए आपस में सहमत होना होगा। इसके अलावा प्रत्येक राज्य इस प्रक्रिया पर नजर और लोगों का रिकॉर्ड रखने के लिए नोडल अधिकारियों की नियुक्त करेगा। राज्यों से अपने गृह राज्य निकलने की अनुमति केवल उन प्रवाली लोगों को दी जाएगी जो स्क्रीनिंग में स्वस्थ पाए जाएंगे। दूसरे प्रदेशों के लोग जब अपने गृह राज्य पहुंच जाएंगे तो वहां भी उनके स्वास्थ्य की जांच की जाएगी।