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CAA: नागरिकता कानून और एनआरसी पर उठ रही चिंताओं के बीच मुस्लिम नेता और मौलवी पीएम और गृहमंत्री से मिलेंगे

Updated Dec 27, 2019 | 20:51 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

muslim leaders and clerics over caa:नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध के बीच कुछ मुस्लिम मौलवी, बुद्धिजीवी पीएम मोदी और अमित शाह से मिलेंगे।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
इलियासी ने प्रदर्शनकारियों से हिंसा से बचने की भी अपील की
मुख्य बातें
  • नागरिकता कानून (CAA) को लेकर विरोध के सुर सामने आ रहे हैं
  • मुस्लिम तबका इसको लेकर खासा चिंतित नजर आ रहा है
  • कुछ मुस्लिम मौलवी, बुद्धिजीवी जल्द प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री से मिलेंगे

नई दिल्ली: देश भर में नागरिकता कानून (CAA) को लेकर विरोध के सुर सामने आ रहे हैं और इसे लेकर विरोध प्रदर्शनों का सिलसिसला जारी है वहीं इस मामले पर विपक्ष भी पीछे नहीं है और सरकार के इस मुद्दे पर घेर रहा है। इन सबके बीच मुस्लिम तबका इसको लेकर खासा चिंतित नजर आ रहा है। 

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध और नागरिकों के लिए राष्ट्रीय रजिस्टर (NRC) को लेकर उठ रही चिंताओं के बीच कुछ मुस्लिम मौलवी, बुद्धिजीवी और कानूनविद् बहुत जल्द प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मिलेंगे।

ऑल इमाम संगठन के प्रमुख डॉ. इमाम उमर अहमद इलियासी ने कहा, 'मुसलमान मौलवियों, शिक्षाविदों, बुद्धिजीवियों, कानूनविद् और मदरसा प्रॉक्टरों का एक प्रतिनिधिमंडल गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जल्द ही मुलाकात करेगा।' इलियासी ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने सीएए और एनआरसी पर अपनी चिंताओं के बारे में अवगत कराएगा। 

प्रदर्शनकारियों से हिंसा से बचने की अपील भी की
राजनीतिक दलों, विभिन्न संगठनों और संस्थानों ने देश भर में नागरिकता अधिनियम और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया है। पिछले सप्ताह शुक्रवार की प्रार्थना के बाद पुरानी दिल्ली में जामा मस्जिद क्षेत्र में एक बड़ा विरोध प्रदर्शन किया गया था।

इलियासी ने प्रदर्शनकारियों से हिंसा से बचने की भी अपील की उन्होंने कहा कि 'मैं इस देश के सभी नागरिकों से अपील करना चाहूंगा कि शांति बनी रहे। एक विरोध प्रदर्शन करना हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है। हमें विरोध करना चाहिए, लेकिन शांति से'

देश भर में इसके खिलाफ कई विरोध प्रदर्शनों के दौरान हिंसा भड़क गई थी। नया नागरिकता कानून हिंदुओं, सिखों, जैनियों, पारसियों, बौद्धों और ईसाई पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक उत्पीड़न से भाग रहे लोगों को जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत आए थे उनको नागरिकता प्रदान करता है।

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