नई दिल्ली: देश कोरोना वायरस (Coronavirus) से हुई कुल मौतों में से एक चौथाई मौतों को नयी दिल्ली के निजामुद्दीन में इस्लामी प्रचारकों के आयोजन से जोड़ा रहा है, जिसके बाद तब्लीगी जमात के आयोजक विभिन्न दिशा-निर्देशों के कथित उल्लंघन को लेकर अधिकारियों के निशाने पर आ गए हैं।
दरअसल, तब्लीगी जमात में हजारों की संख्या लोग जमा थे, लेकिन मौलाना साद ने गैरजिम्मेदाराना व्यवहार करते हुए इसकी जानकारी पुलिस और दिल्ली सरकार तक को नहीं दी वहीं मौलाना साद के कई आपत्तिजनक और भड़काने वाले बयान सामने आए हैं, मौलाना साद 28 मार्च से ही फरार हैं।
कौन हैं मौलाना साद कंधालवी
मौलाना साद का जन्म 10 मई, 1965 में हुआ था, मौलाना साद का पूरा नाम मुहम्मद साद कंधालवी है और वो उत्तर प्रदेश के शामली के रहने वाले हैं। मौलाना साद तब्लीगी जमात के संस्थापक मुहम्मद इलियास कांधलावी के पड़पोते हैं जिन्होंने 1927 में तब्लीगी जमात की स्थापना की थी।
कोरोना के बढ़ते खौफ के बीच धारा-144 लगने के बावजूद राजधानी में भीड़ जुटाने पर मौलाना साद के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने महामारी अधिनियम 1897 के साथ ही आईपीसी की अन्य कई धाराओं के तहत केस दर्ज किया है।साद ने हजरत निजामुद्दीन मरकज के मदरसा काशिफुल उलूम से 1987 में आलिम की डिग्री ली थी।
एक ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है
दो दिन से एक ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। ऑडियो क्लिप में आवाज निजामुद्दीन स्थित मरकज तब्लीगी जमात के मुखिया मौलाना साद कंधालवी की कही जा रही है। क्लिप के मुताबिक, मो. साद कह रहे हैं कि सोशल डिस्टेंसिंग की कोई जरूरत नहीं है, और न ही यह हमारे धर्म में कहीं लिखा है।
मौलाना साद के इस कथित ऑडियो क्लिप में कुछ लोग उनकी हां में हां मिला रहे हैं। हालांकि फरार चल रहे साद कंधावली के करीबी ऑडियो में उन्हीं की आवाज मान रहे हैं। क्लिप दिल्ली पुलिस अपराध शाखा तक भी पहुंचने की खबर है। ऑडियो क्लिप में मौलाना के मुरीद बाकी मौलानाओं में कई के खांसने और छींकने की आवाजें भी आ रही हैं।
कैसे काम करती हैं तब्लीगी जमातें?
दक्षिण एशिया में मौटे तौर पर तब्लीगी जमातों से 15 से 25 करोड़ लोग जुड़े हुए हैं। जमात सदस्य केवल मुसलमानों के बीच काम करते हैं और उन्हें पैगंबर मोहम्मद द्वारा अपनाए गए जीवन के तरीके सिखाते हैं।
तब्लीग का काम करते समय जमात के सदस्यों को छोटे-छोटे समूहों में बांट दिया जाता है। हर समूह का एक मुखिया बनाया जाता है, जिसे अमीर कहते हैं। ये समूह मस्जिद से काम करते हैं। चुनिंदा जगहों पर मुसलमानों की बीच जाकर उन्हें इस्लाम के बारे में बताते हैं।
मार्च की शुरुआत में निजामुद्दीन इलाके में स्थित बंगले वाली मस्जिद में जमातियों का इज्तिमा हुआ। यहीं पर जमात का मरकज यानी केन्द्र स्थित है। बताया जा रहा है कि इस इज्तिमे में इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड, नेपाल, म्यांमा, बांग्लादेश, श्रीलंका और किर्गिस्तान से आए 800 के अधिक विदेशी नागरिकों ने शिरकत की।
सरकार के अनुसार एक जनवरी के बाद से 70 देशों से 2 हजार से अधिक विदेशी जमात की गतिविधियों में हिस्सा लेने के लिये भारत आ चुके हैं। इनमें से एक हजार से अधिक विदेशी लॉकडाउन के चलते निजामुद्दीन में ही फंस गए। इनमें से कई के पास छह महीने का पर्यटन वीजा है।
विवाद तब खड़ा हुआ जब इज्तिमे में शिकरत कर तेलंगाना जा रहे एक इंडोनेशियाई नागरिक की मौत हो गई। वह 18 मार्च को कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया । गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को प्रचारकों को लेकर 21 मार्च को सतर्क किया।