रामनाथपुरम : साइबराबाद और उन्नाव की घटना ने एक बार फिर जहां महिलाओं के साथ जघन्य अपराध को लेकर देशभर में आक्रोश पैदा किया है, वहीं इन घटनाओं ने एक बार फिर 2012 में हुई निर्भया कांड की रूह कंपा देने वाली दरिंदगी भी लोगों के जेहन में ताजा कर दी। इसे महज संयोग कहा जाए या कुछ और, पर इन घटनाओं को लेकर जब देशभर में एक बार फिर उबाल है, निर्भया के चार दोषियों में से एक की दया याचिका की फाइल अंतिम निर्णय के लिए राष्ट्रपति के पास भेजी गई है।
हालांकि इस संबंध में दिल्ली सरकार और फिर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी स्पष्ट कर दिया है कि उसने जिस जघन्य वारदात को अंजाम दिया, वह माफी योग्य नहीं है और इसलिए उसे माफी नहीं मिलनी चाहिए। इस संबंध में अनुशंसा भी राष्ट्रपति को भेजी गई है। इस बीच ऐसी भी रिपोर्ट सामने आई, जिनमें कहा गया कि तिहाड़ जेल में जल्लाद नहीं होने के कारण मृत्युदंड पाए लोगों को सजा नहीं दी जा रही है। ऐसी रिपोर्ट के बीच देशभर से कुछ लोगों ने जल्लाद बन तिहाड़ में दोषियों को फांसी पर लटकाने का प्रस्ताव दिया है, जिनमें तमिलनाडु के एक हेड कॉन्सटेबल का नाम भी शामिल है।
इस हेड कॉन्सटेबल का नाम सुभाष श्रीनिवास है, जो तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने दिल्ली में कारावास डीजीपी को पत्र लिखकर मृत्युदंड पाए दोषियों को फांसी पर लटकाने के लिए तिहाड़ जेल में जल्लाद के तौर पर काम करने की पेशकश की है। उन्होंने यह भी कहा कि इसके लिए उन्हें किसी तरह का भुगतान नहीं चाहिए। उन्होंने निर्भया के दोषियों का भी उल्लेख किया और कहा कि चारों दोषियों को फांसी पर लटकाया जाना है। उन्होंने तिहाड़ जेल में जल्लाद नहीं होने की रिपोर्ट के बीच यह काम करने की पेशकश की है।
इससे पहले हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के रहने वाले एक शख्स ने भी राष्ट्रपति कोविंद को पत्र लिखकर खुद को तिहाड़ जेल में अस्थायी जल्लाद के रूप में नियुक्त करने के लिए कहा था। रवि कुमार नाम के इस शख्स ने राष्ट्रपति को लिखे पत्र में कहा था कि वह उन्हें जल्लाद के रूप में नियुक्त करें, ताकि निर्भया के दोषियों को जल्द फांसी दी जा सके और उनकी आत्मा को शांति मिले।