- गत 26 जुलाई को दोनों राज्यों की सीमा पर हुई थी हिंसक झड़प
- इस हिंसक झड़प में असम पुलिस के छह जवानों की जान चली गई
- सीमा पर विवाद बढ़ने पर केंद्रीय गृह मंत्रालय को दखल देना पड़ा
नई दिल्ली : असम-मिजोरम सीमा पर तनाव एक बार फिर बढ़ता दिखा रहा है। दोनों राज्यों की सीमा पर मंगलवार को एक बार फिर गोलीबारी की घटना सामने आई। गत तीन सप्ताह पहले दोनों राज्यों की सीमा पर हुई हिंसक झड़पों में असम पुलिस के छह जवानों की मौत हो गई। इस घटना के बाद दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की ओर से जारी बयानों से स्थिति और जटिल हुई। स्थिति को संभालने के लिए केंद्र सरकार को दखल देना पड़ा। विवादित जगह पर केंद्रीय बलों की तैनाती हो जाने के बाद मसले का हल निकलता दिख रहा था लेकिन सीमा पर गोलीबारी की इस घटना ने विवाद को हवा दे दी है।
असम पुलिस पर फायरिंक करने का आरोप
रिपोर्टों के मुताबिक मिजोरम का आरोप है असम के हैलकंडी और मिजोरम के कोलासिब जिलों की सीमा पर असम पुलिस के जवानों ने उसके तीन नागरिकों पर गोलीबारी की और इस फायरिंग में एक व्यक्ति घायल हो गया। वहीं, असम का दावा है कि पहले मिजोरम की तरफ से असमाजिक तत्वों ने फायरिंग की जिसके बाद पुलिस ने जवाबी गोलीबारी की। कोलासिब जिले के डिप्टी कमिश्नर एच लल्थलंगलिआना के मुताबिक मंगलवार को दो बजे के करीब तीन लोग अपने दोस्त जो कि बॉर्डर पर रहते हैं, उनके यहां से कुछ सामान लेने गए थे।
26 जुलाई को हुई हिंसक झड़प में 6 पुलिसकर्मियों की मौत
पूर्वोत्तर के दो राज्यों के पुलिस बलों के बीच 26 जुलाई को हुई हिंसक झड़प में असम के छह पुलिसकर्मियों सहित सात लोगों की मौत हो गई थी और 50 से अधिक अन्य घायल हो गए थे। इस घटना के बाद असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। असम ने अपने नागरिकों की मिजोरम की यात्रा न करने की सलाह दी। दो राज्यों के बीच सीमा विवाद का यह मसला अपने आप में अनोखा है।
गृह मंत्रालय ने दिया दखल
विवाद शांत कराने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को दखल देना पड़ा। गृह मंत्री अमित शाह ने दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात की। मिजोरम के सीएम ने असम पुलिस के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई लेकिन आपसी सौहार्द एवं विश्वास कायम करने के लिए उन्होंने केस वापस ले लिया।
दोनों राज्यों में हुई बातचीत
इसके बाद असम और मिजोरम के प्रतिनिधियों ने 5 अगस्त को आइजोल में बातचीत की और अंतर-राज्यीय सीमा विवाद को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने पर सहमत हुए थे। बैठक के बाद जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया है, ‘असम और मिजोरम की सरकारों के प्रतिनिधि असम और मिजोरम में रहने वाले, विशेष तौर पर सीमांत क्षेत्रों के लोगों के बीच शांति और सद्भाव को बढ़ावा देने, संरक्षित करने और बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक उपाय करने के लिए सहमत हैं।'