- सोनिया गांधी से उद्धव ठाकरे , हेमंत सोरेन हुए रूबरू, ममता बनर्जी भी बातचीत में हुईं शामिल
- समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और आप ने बनाई दूरी
- इन दलों का कहना है कि चर्चा में शामिल होने के लिए कांग्रेस से नहीं मिला न्यौता
नई दिल्ली। दुनिया के दूसरे मुल्कों की तरह भारत भी कोरोना का सामना करना रहा है। अगर 1 मई के बाद के आंकड़े को देखें तो तस्वीर भयानक नजर आती है। इन सबके बीच जन से जग तक के आह्वान के साथ देश लॉकडाइउन 4 में है। सरकार अलग अलग तरह से लोगों के स्वास्थ्य और आर्थिक सेहत को पटरी पर लाने की कोशिश कर रही है तो विपक्ष अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए सरकार की खामियों को इंगित कर रहा है।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सोनिया गांधी हुईं रूबरू
इन सबके बीच कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी विपक्षी दलों के नेताओं से रूबरू हुईं हालांकि उस बैठक में एसपी, बीएसपी औक आम आदमी पार्टी ने दूरी बनाई। इन दलों की तरफ से कहा गया कि उन्हें न्यौता नहीं मिला। सोनिया गांधी ने कांग्रेस शासित मुख्यमंत्रियों के साथ गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों और अलग अलग दलों के नेताओं से बातचीत की। विपक्षी दलों की तरफ से एच डी देवगौड़ा, शरद पवार, एम के स्टालिन, ममता बनर्जी, उद्धव ठाकरे, हेमंत सोरेन, उमर अब्दुल्ला, के सी वेणुगोपाल, मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल हुए।
सोनिया गांधी ने क्या कहा
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपने शुरुआती भाषण में कहा कि दुनिया के साथ साथ भारत भी मुश्किल दौर से गुजर रहा है। संकट की इस घड़ी में हमें एक साथ मिलकर उठ खड़ा होने की जरूरत है। कोरोना वायरस का किसी जाति, धर्म, मजहब से लेनादेना नहीं है। उसके शिकंजे में कोई भी शख्स आ सकता है। लेकिन जिस तरह से केंद्र सरकार इस मामले को देख रही है उससे लगता है कि सरकार के पास कोई ठोस नीति नहीं है। सरकार की तरफ से 20 लाख करोड़ के आर्खिक पैकेज का ऐलान किया गया है। लेकिन देखा जाए तो वो राहत पैकेज कम कर्ज वाला पैकेज ज्यादा नजर आता है।
20 लाख करोड़ का पैकेज जनता के साथ क्रूर मजाक
सोनिया गांधी ने कहा कि मशहूर अर्थशास्त्रियों ने सुझाव दिया कि इस समय जनता के हाथ में सीधे पैसा होने के साथ इस तरह की घोषणाएं होनी चाहिए जिससे अर्थव्यवस्था को बल मिले। पीएम मोदी ने जिस 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज की घोषणा की वो सही मायने में गरीब जनता के साथ धोखा और क्रूर मजाक है। जिस तरह से हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर पैदल ही सड़कों पर अपने घरों के लिए जा रहे हैं वो दुखदायी है, सरकार एक तरफ कहती है कि उसकी तरफ से कई तरह की कोशिश की गई है। लेकिन हकीकत सबके सामने है।