वाराणसी : ज्ञानवापी परिसर स्थित मां श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन पूजन की मांग को लेकर वाराणसी के जिला जज ए के विश्वेश की अदालत में चल रहे मुकदमे की पोषणीयता (सुनवाई योग्य है या नहीं) पर फैसला बुधवार को सुरक्षित रख लिया गया। निर्णय 12 सितंबर को सुनाया जाएगा।
हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने बताया कि ज्ञानवापी-श्रंगार गौरी मामला सुनवाई करने योग्य है या नहीं, इस बारे में दोनों पक्षों की बहस पूरी हो चुकी है। अदालत ने आदेश को सुरक्षित रख लिया है जिसे 12 सितंबर को सुनाया जाएगा।
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मुस्लिम पक्ष की ओर से अधिवक्ता शमीम अहमद ने अदालत को बताया कि ज्ञानवापी मस्जिद वक्फ की संपत्ति है, इसलिए अदालत को इस मामले की सुनवाई का अधिकार नहीं है। यादव ने बताया कि उन्होंने अपनी दलील में कहा है कि ज्ञानवापी कहीं से मस्जिद नहीं बल्कि मंदिर का ही हिस्सा है तथा इस मामले में 1991 का उपासना स्थल अधिनियम किसी भी तरह से लागू नहीं होता।
'ऐसा उसने सिर्फ हिंदुओं का मान मर्दन के लिए कराया था'
उन्होंने दावा किया कि मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता ने ज्ञानवापी को वक्फ की सम्पत्ति बताते हुए जो दस्तावेज प्रस्तुत किया है वह असल में बिंदु माधव का धरहरा स्थित आलमगीर मस्जिद का दस्तावेज है। उनके अनुसार यह मस्जिद ज्ञानवापी से दूर स्थित है। यादव ने कहा कि उन्होंने अदालत को बताया है कि औरंगजेब ने मंदिर को ध्वस्त कर मस्जिद का निर्माण कराया था उनके मुताबिक ऐसा उसने सिर्फ हिंदुओं का मान मर्दन के लिए कराया था।