नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर उत्तर प्रदेश सहित देश के कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन किए गए थे कहीं-कहीं ये प्रदर्शन खासे हिंसक भी रहे थे, उत्तर प्रदेश के कई जिलों मे इन प्रदर्शनों में खासी हिंसा सामने आई थी, इससे चलते कुछ लोगों की मौत भी प्रदेश में हो गई थी, इस हिंसा में शामिल लोगों की जानकारियां अब सरकार निकाल रही है।
बताया जा रहा है कि हिंसा के पीछे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का नाम प्रमुखता से आ रहा है जिसके बारे में कहा जा रहा है कि इस संगठन ने हिंसक गतिविधियों को उकसाने में अहम भूमिका अदा की थी।
वहीं अब केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी कहा है कि हिंसा में PFI की भूमिका आगे आ रही है, गृह मंत्रालय सबूतों के आधार पर आगे की कार्रवाई तय करेगा। उस पर स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) से संबंध सहित कई आरोप हैं।
वहीं कहा जा रहा है कि इस संगठन को उत्तर प्रदेश में बैन किया जा सकता है उत्तर प्रदेश सरकार ने इसपर प्रदेश में बैन लगाने की तैयारी में है। हाल ही में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में उत्तर प्रदेश में हुई हिंसा मामले में पीएफआई का भी नाम सामने आया था इसी के मद्देनजर योगी सरकार पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर ये बैन की कार्रवाई की जा सकती है।
लखनऊ समेत पूरे प्रदेश में हुई हिंसा की जांच में जानकारी सामने निकल कर आ रही है किपीएफआई से जुड़े लोगों ने सोशल मीडिया पर भड़काऊ मैसेज इत्यादि भेजकर लोगों को उकसाया था जिसकी प्रतिक्रिया में हिंसा की वारदातें हुईं।
उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह ने राज्य के गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया था। जांच में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन में पीएफआई की संलिप्तता पाई गई है। मंत्रालय द्वारा केंद्र को भेजने से पहले सिफारिशों की समीक्षा की जाएगी।
20 दिसंबर को यूपी के कई शहरों में हिंसक प्रदर्शन हुआ। इस हिंसा में 19 लोगों की मौत भी हुई।
पत्र में कहा गया है कि पीएफआई के कई सदस्य पहले प्रतिबंधित इस्लामिक ग्रुप स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) से जुड़े थे।