- पांच जून को यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ का था जन्मदिन
- दुनियाभर से मिली बधाई, सोशल मीडिया पर खूब हुए ट्रेंड
- खूबियों के चलते लोकप्रियता के शिखर पर योगी
रीना सिंह। 5 जून को प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को 49वें जन्मदिन पर ढेरों बधाइयां मिलीं। पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर देश के सभी बड़े पक्ष और विपक्ष के नेताओं ने उनको बधाई दी। इस दौरान शुक्रवार को योगी आदित्यनाथ देश और विदेश में सोशल मीडिया पर छाए रहे। हैश टैग योगी आदित्यनाथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टॉप में ट्रेंड रहा। हालांकि सीएम योगी आदित्यनाथ संन्यासी होने के कारण जन्मदिन नहीं मनाते लेकिन देश-विदेश के कोने-कोने से लोग उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं देते रहे।
सीएम योगी आदित्यनाथ आज़ाद भारत के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री हैं, ऐसा कई मैगजीन दावा कर चुकी हैं। आने वाले समय में अपनी नैतिकता, निर्भीकता, देश सेवा के भाव और पुरुषार्थ से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी वह परचम लहराएंगे, ऐसा यकीन है। यहां यह जानना अति आवश्यक है कि कैसे एक साधारण परिवार का युवा सिर्फ 21 वर्ष की आयु में संन्यासी बन गया और गोरक्षपीठ के द्वारा जन सेवा का मार्ग अपनाकर एक ऐसे मार्ग पर चल पड़ा, जिसका आज तक उसका या उसके परिवार से कोई नाता नहीं था। शायद यह उनकी कुछ बैचैनी ही होगी जो किसी गरीब, निर्बल ,असहाय और पीड़ित को देख कर मन में व्याकुलता भर देती होगी, पर जो कुछ भी था वो साधारण नहीं था।
आज के इस वैश्विक महामारी के समय में उस नौजवान की 28 वर्ष की लंबी समाज सेवा की यात्रा और हिंदुत्व की रक्षा करने का ही परिणाम है या यूं कहें कि लोगों की सेवा करने की भूख ही है जो आज के समय में विश्व के किसी भी नेता से बिलकुल अलग है। निश्छल सेवा का यह भाव निश्चित ही योगी आदित्यनाथ को दिन प्रतिदिन महान बना रहा है और लोगों के ह्रदय में उनके प्रति प्रेम ईश्वर की श्रद्धा का रूप ले रहा है। यक़ीनन यह सिर्फ एक संन्यासी ही कर सकता है जो गोरक्षपीठाधीश्वर है, जिसका सम्बन्ध महान हिन्दू सम्राट राजा विक्रमादित्य से है और जो पीठ देश में हिंदुत्व की पहचान है। वह महान गोरक्षपीठ जिसने राम मंदिर के लिए सदियों से लड़ाई लड़ी है और यह महज कोई संयोग नहीं हो सकता कि आज जब राम मंदिर का निर्माण हो रहा है तब प्रदेश की बागडोर गोरक्षपीठ के महंत के हाथ में ही है।
योगी आदित्यनाथ एक ऐसे समाज की नींव रख रहे हैं जो विश्व में भारत के अमूल्य आध्यात्मिक भण्डार की महक फैला सके, जिसमें धर्म या जाति के आधार पर आदमी-आदमी में कोई भेद न रहे। उन्होंने वेदान्त के सिद्धान्तों को इसी रूप में रखने के साथ साथ अध्यात्मवाद बनाम भौतिकवाद के विवाद में पड़े बिना भी, समता के सिद्धान्त को बौद्धिक आधार के जरिये सशक्त किया है। आज इस वैश्विक महामारी के समय में जहां देश विदेश में अराजकता और बेरोजगारी फैली है, वहीं योगी आदित्यनाथ अपने प्रदेश के श्रमिकों को रोज़गार देने के अवसर प्रशस्त कर रहे हैं। आज के युवकों के लिये इस ओजस्वी संन्यासी का जीवन एक आदर्श है। योगी ने जिस सौहार्द और स्नेह के साथ श्रमिकों और गरीब लोगों के बारे में सोचा है वह स्वागत योग्य हैं। दीन-हीनों को गले लगाने की हमारे देश में संन्यासियों की प्राचीन परम्परा है। योगी भी एक ऐसे धर्म का अनुयायी होने में हमें गर्व का अनुभव करा रहे हैं, जिसने संसार को सहिष्णुता की शिक्षा दी है।
हम लोग सब धर्मों के प्रति केवल सहिष्णुता में ही विश्वास नहीं करते वरन समस्त धर्मों को सच्चा मान कर स्वीकार करते हैं। मुझे ऐसे देश का व्यक्ति होने का अभिमान है जिसने इस पृथ्वी के समस्त धर्मों और देशों के उत्पीड़ितों और शरणार्थियों को आश्रय दिया है। हमारे समाज में साम्प्रदायिकता, हठधर्मिता और उनकी वीभत्स वंशधर धर्मान्धता बहुत समय तक राज कर चुकी हैं, बहुत सी ऐसी शक्तियां हैं जो हमारे धर्म और सभ्यताओं को ध्वस्त करती हुई पूरे के पूरे देशों को निराशा के गर्त में डालती रही हैं। यदि ये वीभत्स दानवी शक्तियां न होतीं तो आज का भारत और हिन्दू समाज आज की अवस्था से कहीं अधिक उन्नत हो गया होता, पर अब वह समय आ गया है।
क्यूंकि देश को मोदी और योगी जैसे कर्म योद्धा हैं। आम आदमी सरलता और छल दोनों को पहचानता है, शायद इसीलिए एक संन्यासी राजा का जन्मदिन संन्यासी खुद नहीं बल्कि उसके देश और प्रदेश के करोड़ों लोगों ने मनाया। एक ऐसे नेतृत्व को सलाम है, जब लोग केवल आपकी प्रतिक्रिया भर से आत्मविश्वास से भर जायें। असाधारण नेता कठिन रास्तों से गुजर कर ही, वो सब कर पाते हैं जो साधारण लोग नहीं कर पाते। योगी आदित्यनाथ का सकारात्मक नज़रिया सकारात्मक विचारों, घटनाओं और परिणामों की श्रृंखला उत्पन्न कर रहा है। यह एक उत्प्रेरक है और असाधारण परिणामों को प्रोत्साहित कर रहा है।
जहां बाकी प्रदेशों के मुख्यमंत्री कोरोना से झूझ रहे हैं, वहीं योगी कोरोना से लड़ाई के साथ साथ प्रदेश में विदेशी बड़ी कंपनियों और व्यापारियों को आकर्षित कर रहे हैं ताकि उनके प्रदेश के युवा को रोज़गार के लिए पलायन न करना पड़े। जब नौकरी की व्यवस्था अपने ज़िले में ही होगी तब रोटी के लिए घर से दूर नहीं जाना पड़ेगा। योगी की महानता है कि पिता की मृत्यु के बाद भी उन्होंने अपने राज धर्म को नहीं छोड़ा। कोरोना काल में उन्होंने अपनी निजी भावनाओं से बढ़ कर प्रदेश सेवा को महत्त्व दिया। ऐसा सिर्फ कोई महापुरुष ही कर सकता है। यह हिम्मत साधारण मानव के बस में नहीं है। योगी का यह भाव उनकी कर्त्तव्य निष्ठा दर्शाता है, ऐसे महान व्यक्ति का प्रदेश का मुख्यमंत्री होना उस प्रदेश की जनता के लिए सौभाग्य की बात है। योगी में कठिन निर्णय लेने का साहस है और लोगों की जरूरतों को समझने की काबिलियत। जिस कारण वो न सिर्फ धर्म की रक्षा कर रहे हैं अपितु प्रदेश को आर्थिक तौर पर भी मजबूत बनाने के लिए अग्रसर हैं।
(लेखिका सर्वोच्च न्यायालय दिल्ली में अधिवक्ता हैं।)
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