हाथरस कांड को लेकर यूपी के सीएम योगी बयान सामने आया है जिसमें उन्होंने कहा है कि हमारे विरोधी हमारे खिलाफ साजिश रच रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय फंडिंग के माध्यम से जाति और सांप्रदायिक दंगों के लिए नींव डाली जा रही है, पिछले एक हफ्ते से विपक्षी दल दंगे देखने के लिए उत्सुक थे। इन तमाम साजिशों के बीच हमें आगे बढ़ने की जरूरत है।
उन्होंने इसपर कहा कि सियासी साजिश रचने वाले बेनकाब होंगे, दरअसल विपक्ष विकास विरोधी है और हाथरस की आड़ में जातीय दंगे भड़काने की साजिश रच रहा है, साजिश में शामिल कुछ वेबसाइट यूपी सरकार के निशाने पर हैं। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इसके बहाने कुछ लोग प्रदेश की कानून व्यवस्था खराब करना चाहते हैं। अब इस मामले को लेकर एक नया खुलासा हुआ है।
रातों-रात अचानक बनी वेबसाइट ने हाथरस मामले को और बढ़ाया
justiceforhathrasvictim.carrd.co नाम से अचानक बनी इस वेबसाइट में बताया गया था कि कैसे सुरक्षित रूप से विरोध किया जाए और पुलिस के चंगुल से बचा जाए। इसके साथ-साथ इसमें सभी लोगों से जुड़ने का आग्रह किया। सुरक्षा एजेंसियों के इस हाथ के सबूत लगे हैं जिसमें कहा जा रहा है कि हाथरस की घटना का इस्तेमाल करके उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार को जातिगत आधार पर बदनाम करने की साजिश रची गई थी और इसी बहाने दंगे भड़काने की भी कोशिश की गई थी। इसके अलावा इसमें बताया गया था कि क्या करना है और क्या नहीं।
वहीं इसमें दंगों के दौरान सुरक्षित रहने और आंसू गैस के गोले दागने और गिरफ्तारी होने पर उठाए जाने वाले कदमों का जिक्र किया गया है।इस वेबसाइट में देश भर में दिल्ली, कोलकाता, अहमदाबाद जैसी जगहों पर विरोध प्रदर्शन और मार्च आयोजित करने पर जोर दे गया था। फर्जी आईडी का इस्तेमाल करके कुछ ही घंटों में हजारों लोग इस वेबसाइट से जुड़ गए। इसके यूजर्स को सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर हाथरस की घटना के बारे में गलत सूचना और अफवाह फैलाते हुए पाया गया है।वेबसाइट से फोटोशॉप्ड पिक्चर्स, फेक न्यूज और एडिटेट विजुअल बरामद
सुरक्षा एजेंसियों के सक्रिय होते ही वेबसाइट ने अपना परिचालन बंद कर दिया और वेबसाइट बंद कर दी है। हालांकि, उन पर अपलोड की गई जानकारी एजेंसियों के पास सुरक्षित है। वेबसाइट से कई फोटोशॉप्ड चित्र, फेक न्यूज और एडिटेट विजुअल भी बरामद किए गए हैं। यूपी सरकार के सूत्रों के मुताबिक, वेबसाइट को इस्लामिक देशों से भारी फंडिंग मिल रही थी और एमनेस्टी इंटरनेशनल के साथ उनके लिंक की भी जांच की जा रही है। यह भी संदेह किया जा रहा है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई), जो नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध प्रदर्शन के दौरान दंगों में शामिल पाए गए थे, वो भी इसमें शामिल थे।