- राज्य में अब तक 24 जातियों का सर्वेक्षण पूरा किया जा चुका है, इसके अलावा 15 जातियों का सर्वेक्षण अभी होना बाकी है।
- अगर 39 जातियों को ओबीसी का दर्जा मिल जाता है, तो 2002 में योगी सरकार चुनावों में इसका पूरा फायदा उठाने की कोशिश करेगी।
- वैश्य, रुहेला, भाटिया, कायस्थ, भूटिया,दोसर, मुस्लिम शाह, केसरवानी वैश्य, हिंदू भाट आदि जातियां शामिल हो सकती है।
नई दिल्ली: संसद द्वारा ओबीसी विधेयक को मंजूरी मिलने के बाद, अब राज्यों द्वारा नई जातियों को ओबीसी का दर्जा देने का रास्ता खुल गया है। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश में 39 जातियों को ओबीसी का दर्जा मिल सकता है। इस सूची में वैश्य, रुहेला, भाटिया, कायस्थ, भूटिया,दोसर, मुस्लिम शाह, केसरवानी वैश्य, हिंदू भाट आदि जातियां शामिल हो सकती है। राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के चेयरमैन जसवंत सैनी ने टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से बताया कि 24 जातियों का सर्वेक्षण पूरा हो चुका है। जबकि 15 जातियों का सर्वेक्षण जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा। उसके बाद आयोग अपनी अनुशंसा भेजेगा। जिसके बाद राज्य सरकार अपने स्तर पर फैसला करेगी।
क्या है तैयारी
जसवंत सैनी के अनुसार "ओबोसी कैटेगरी में पिछड़ी जातियों को शामिल करना या उसमें से किसी को हटाना है तो उसके लिए आयोग अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजता है। इसके तहत लोगों की मांग के आधार पर आयोग की बैठकों में विचार-विमर्श किया जाता है। अगर सहमति हो जाती है, तो उसके बाद जाति का सर्वेक्षण किया जाता है। उसके बाद अंतिम सुनवाई में जाति को शामिल करना है या नहीं इस पर आयोग अपना फैसला लेता है। अभी 24 जातियों का सर्वेक्षण पूरा किया जा चुका है, इसमें से कुछ निरस्त हो गई हैं और कुछ की संतुति गई है। इसके अलावा 15 जातियों का सर्वेक्षण अभी होना बाकी है। जब उन पर सर्वेक्षण रिपोर्ट आ जाएगी तो आगे की कार्यवाही की जाएगी।"
कौन सी जातियां हो सकती हैं शामिल
वैश्य, जैसवार राजपूत, रुहेला, भूटिया, अग्रहरी, हिंदू कायस्थ, मुस्लिम कायस्थ, कोर क्षत्रिय राजपूत, मुस्लिम शाह, मुस्लिम कायस्थ,दोहर, अयोध्यावासी वैश्य, बरनवाल,कमलापुरी वैश्य, मुस्लिम भट, उमर बनिया, महौर वैश्य, पंवरिया आदि शामिल हैं। जबकि विश्नोई, खार राजपूत, पोरवाल, पुरूवर, कुंदर खराड़ी,पिठबाज,गढ़ैया आदि का सर्वेक्षण किया जाएगा।
साबित हो सकता है बड़ा राजनीतिक दांव
उत्तर प्रदेश में जब विधान सभा चुनावों में बेहद कम समय रह गया है। ऐसे में 2022 के लिए योगी सरकार का यह दांव बड़ा गेम चेंजर साबित हो सकता है। क्योंकि अगर 39 जातियों को ओबीसी का दर्जा मिल जाता है, तो योगी सरकार चुनावों में इसका पूरा फायदा उठाने की कोशिश करेगी। खास तौर पर जब 2017 के विधान सभा चुनावों में उसे 312 सीटें मिली थी। क्योंकि एक बार जिन जातियों को ओबीसी की कैटेगरी में शामिल किया जाएगा, उन्हें नौकरियों के साथ-साथ शैक्षणिक स्तर पर भी आरक्षण का लाभ मिल जाता है।