UP Waqf Board Property Survey: यूपी में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के सर्वेक्षण पर विवाद थमने के बावजूद योगी सरकार ने अब वक्फ के तहत सभी संपत्तियों का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया है, जिनका पंजीकरण सवालों के घेरे में है और एक महीने के भीतर एक रिपोर्ट जमा करें। योगी सरकार में उप सचिव शकील अहमद द्वारा लिखा गया पत्र अल्पसंख्यक कल्याण विभाग, अल्पसंख्यक कल्याण के निदेशक और सर्वेक्षण आयुक्त, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों, सीईओ शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड और राजस्व अधिकारियों को संबोधित है।
इसमें कहा गया है कि सभी वक्फ संपत्तियों को 1995 के वक्फ अधिनियम के उल्लंघन के रूप में पंजीकृत किया गया है या अप्रैल 1989 में पारित एक जीओ के तहत, जो उसर, बंजार और भीता भूमि को वक्फ संपत्ति के रूप में पंजीकृत करने की अनुमति देता है, की जांच की जानी चाहिए।
इसके पीछे योगी सरकार की मंशा वक्फ प्रॉपर्टी पर अवैध कब्जे और बिक्री को रोकने की है, इस सर्वे के दौरान वक्फ बोर्ड की संपत्तियों की पूरी जानकारी उपलब्ध करानी होंगी।
'सभी जिलों में शिया और सुन्नी वक्फ बोर्डों की जांच होगी'
ग्राम सभाओं और नगर निकायों की जमीन सार्वजनिक संपत्तियां हैं, जिनका जनहित में उपयोग किया जाता है। इन जमीनों का 1989 के शासनादेश के आधार पर प्रबंधन और स्वरूप बदलना राजस्व कानूनों के खिलाफ है। आदेश के मुताबिक यूपी में प्रदेश के सभी जिलों में शिया और सुन्नी वक्फ बोर्डों की जांच होगी साथ ही सरकार ने राजस्व विभाग के वर्ष 1989 के शासनादेश को भी निरस्त करते हुए हुए जांच एक माह में पूरा करने के निर्देश सभी जिलों को दिए हैं।