लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपना दुख भूलकर 23 करोड़ जनता की परेशानियां दूर करने में लगे हैं। पिता के निधन के बावजूद वह कोरोना संकट काल में जनता की सेवा में लगे हैं। योगी आदित्यनाथ के पिता आनंद सिंह बिष्ट का निधन 20 अप्रैल को दिल्ली के एम्स में 89 साल की उम्र में हो गया था। आज उनके पैतृक गांव पंचूर, उत्तराखंड में उनकी तेरहवीं का कार्यक्रम है, लेकिन सीएम योगी आदित्यनाथ इसमें शामिल नहीं हुए। राजधर्म का हवाला देते हुए वह पिता के अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हुए थे।
योगी आदित्यनाथ का यह फैसला नजीर बना और पूरे देश में इसकी प्रशंसा हुई थी। वह चाहते तो पूरी सरकारी मशीनरी चंद मिनटों में उनके पिता के अंतिम संस्कार में पहुंचने की व्यवस्था कर देती। लेकिन नाथ संप्रदाय से ताल्लुक रखने वाले योगी ने परिवार से ऊपर प्रदेश की जनता को रखा। वैश्विक महामारी के चलते देशभर में लॉकडाउन लागू है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस समय पूरी तरह से इस संकट के समय प्रदेश की जनता के हितों के कार्यों में लगे हुए हैं।
'अंतिम दर्शन की इच्छा थी, लेकिन...'
अपने राजधर्म को ही आगे रखते हुए योगी आदित्यनाथ पहले पिता के अंतिम दर्शन के लिए उनके अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुए और अब उनकी तेरहवीं में नहीं पहुंचे हैं। पिता के निधन पर सीएम योगी ने ट्वीट कर कहा था, 'अंतिम क्षणों में पिताजी के दर्शन की हार्दिक इच्छा थी, परंतु वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के खिलाफ देश की लड़ाई को उत्तर प्रदेश की 23 करोड़ जनता के हित में आगे बढ़ाने के कर्तव्यबोध के कारण मैं दर्शन न कर सका। पूज्य पिताजी की स्मृतियों को कोटि-कोटि नमन करते हुए विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा हूं। लॉकडाउन के बाद दर्शनार्थ जाऊंगा।'
नम आंखों से करते रहे थे बैठक
योगी आदित्यनाथ के लिए राजधर्म किस तरह सर्वोपरि है, ये इन उदाहरणों से पता चलता है, लेकिन इससे भी बड़ी बात ये थी कि जब उनको पिता के निधन के बारे में जानकारी मिली थी, तब वो कोरोना के खिलाफ जंग के लिए अपनी टीम-11 के साथ बैठक कर रहे थे। उन्हें मीटिंग के दौरान ही यह दुखद जानकारी दी गई, लेकिन वो जरा भी विचलित नहीं हुए, धैर्य से अधिकारियों की बातें सुनते रहे और मीटिंग समाप्त होने के बाद ही अपनी सीट से उठे। जिस समय वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें इस दुखद खबर की जानकारी दी, उस समय उनके चेहरे पर कोई भाव नहीं था। वो अधिकारियों की बात को ध्यान से सुनते रहे और कुछ आवश्यक निर्देश दिए। मीटिंग समाप्त होने के बाद वो अपनी सीट से उठे और निर्विकार भाव से आगे बढ़ गए।
कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई में सीएम योगी आदित्यनाथ लगातार मोर्चे पर डटे हुए हैं। वो प्रदेश और जनता के हित में एक के बाद एक फैसला ले रहे हैं। यहां तक कि अन्य राज्यों में फंसे छात्रों और मजदूरों को वहां से निकालने के लिए भी उन्होंने उचित समय पर फैसले लिए।