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उत्तराखंड आपदा: मां ने किया बेटे को फोन और बच गईं करीब 25 जिंदगियां

Updated Feb 14, 2021 | 08:51 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Uttarakhand: 7 फरवरी को उत्तराखंड के चमोली में आई आपदा में कई जानें जा चुकी हैं। सैंकड़ों लोग लापता है। लेकिन एक मां के फोन से न सिर्फ उसके बेटे की बल्कि 24 लोगों की जान बची है।

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उत्तराखंड आपदा
मुख्य बातें
  • आपदा में मारे गए 40 लोगों के शव अब तक बरामद हो चुके हैं
  • 164 अन्य लोग अब भी लापता हैं
  • सुरंग में फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए पिछले एक सप्ताह से बचाव अभियान चलाया जा रहा है

नई दिल्ली: हाल ही में उत्तराखंड के चमोली जिले में आई आपदा ने कई लोगों को अपनी चपेट में ले लिया। अभी भी सैकड़ों लोग लापता है। एक बड़ी सुरंग में फंसे लोगों को बचाने का काम अभी भी जारी है। इसी बीच एक ऐसी मां की कहानी सामने आई है, जिसकी वजह से कई लोगों की जान बची है। तपोवन में NTPC जलविद्युत परियोजना में काम करने वाले 27 साल के भारी मोटर वाहन चालक विपुल कैरेनी ने अपनी मां की फोन पर कही उस बात पर ध्यान नहीं दिया, जिसमें वह उससे बैराज से दूर जाने को कह रही थी।

हालांकि, मंगश्री देवी तब तक फोन करती रहीं जब तक कि वह अपने बेटे को ये बताने में सफल नहीं हो गईं कि उन्होंने धौलीगंगा में सैलाब आता देखा है। कैरेनी ने बताया, 'हमारा गांव ऊंचाई पर स्थित है। जब अचानक बाढ़ आई तब मेरी मां बाहर काम कर रही थी। अगर उन्होंने चेतावनी नहीं दी होती, तो मैं और मेरे लगभग दो दर्जन साथी अब तक मर चुके होते।'

'द टाइम्स ऑफ इंडिया' की खबर के अनुसार, उन्होंने आगे बताया कि मां के बताने पर वे दौड़े और एक सुरक्षित जगह पर जाकर शरण ली। उनकी दो महीने पहले ही शादी शादी हुई है और वो बैराज में तब से काम कर रहे है जब वह सात साल के थे। 

मां ने किया फोन

7 फरवरी को लगभग 9 बजे वो प्रोजेक्ट स्थल के लिए अपने गांव ढाक से निकले। वो बताते हैं, 'नियमित दिन पर हमें 600 रुपए का भुगतान किया जाता है, लेकिन रविवार को वह राशि दोगुनी हो जाती है। मैं कुछ अतिरिक्त पैसे कमाने के लिए पिछले रविवार को काम पर गया था।' 10.35 बजे उनकी मां ने उसे फोन कर भागने के लिए कहा। वो आगे कहते हैं, 'सबसे पहले मैंने केवल उनके चिल्लाने की आवाज सुनी और उसे गंभीरता से नहीं लिया। मैंने उनसे मजाक नहीं करने के लिए कहा। उन्होंने मुझे फिर से फोन किया और मुझसे वहां से हटने की विनती की। मेरी मां और पत्नी अनीता ने पानी को उसकी सामान्य ऊंचाई से 15 मीटर ऊपर उठते हुए देखा था। वह सबकुछ अपनी चपेट में ले रहा था। हम सभी सीढ़ी की ओर भागे और इसने हमारी जान बची।' 

इसी फोन से बचे संदीप लाल ने बताया, 'मैं अंदर था और बिजली की लाइन में खराबी को ठीक कर रहा था। जब विपुल ने फोन किया, तो मैं भागा। मैं विपुल की मां का एहसानमंद हूं। इससे मैंने कभी भी माता-पिता की चेतावनी को अनदेखा नहीं करना सीखा है।' संदीप और विपुल के 100 से अधिक दोस्त लापता हैं। तपोवन गांव के प्रधान किशोर कन्याल ने देवी की सराहना की।

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