विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के वरिष्ठ नेता सुरेंद्र जैन ने रविवार को कहा कि संविधान का अनुच्छेद 370 इतिहास बन गया है। उन्होंने पाकिस्तान और चीन के अवैध कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों को फिर से हासिल करने की वकालत करते हुए कहा कि यह जल्द ही वास्तविकता बन जाएगा। विहिप के केंद्रीय संयुक्त महासचिव जैन 22 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तानी हमले में मारे गए लोगों को सामूहिक श्रद्धांजलि देने के लिए आरएसएस समर्थित जम्मू और कश्मीर पीपुल्स फोरम द्वारा आयोजित 'पुण्य भूमि समरन सभा' में बोल रहे थे और यहां उन्होंने खोए हुए क्षेत्रों को पुनः प्राप्त करने का संकल्प दोहराया।
'1947 में पाकिस्तानी हमलावरों ने कई राष्ट्रवादी मुसलमानों को भी मार डाला'
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने रैली में शामिल होने के लिए शहर के विभिन्न हिस्सों से तिरंगा यात्रा का नेतृत्व किया, जिसमें पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 श्री स्वामी विश्वात्माानंद सरस्वती महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव और फिल्म अभिनेता और निर्माता मुकेश ऋषि के अलावा जम्मू-कश्मीर के भीतर और बाहर पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर (पीओजेके) के विस्थापित लोग शामिल हुए। पीओजेके की मुक्ति के मंत्रोच्चार के बीच विहिप नेता ने कहा कि आप मुआवजा चाहते हैं या अपने पूर्वजों और शारदा पीठ जैसे धार्मिक स्थलों की भूमि। आपने जो संकल्प लिया है वह शीघ्र ही साकार होने वाला है। जैन ने कहा कि यह हिंदुओं और मुसलमानों से संबंधित मुद्दा नहीं है क्योंकि 1947 में पाकिस्तानी हमलावरों ने कई राष्ट्रवादी मुसलमानों को भी मार डाला था।
नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस और पीडीपी का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि पिछले दशकों में जम्मू-कश्मीर पर शासन करने वाले कुछ परिवारों की भूमिका खत्म हो गई है। अब जम्मू-कश्मीर में देश और जम्मू-कश्मीर की जनता की ही चलेगी। जो मातृभूमि भारत की प्रशंसा में नारे नहीं लगा सकता है, उसके दिल में कहीं पाकिस्तान जिंदाबाद अंकित है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक नया जम्मू-कश्मीर उभर रहा है, जिन्होंने धमकियों की परवाह किए बिना अनुच्छेद 370 को रद्द कर दिया था।
54 प्रतिशत का बड़ा हिस्सा पाकिस्तान और चीन के अवैध कब्जे में: जैन
विहिप नेता ने कहा कि अनुच्छेद 370 को हटा दिया गया है और इसकी बहाली संभव नहीं है। यह इतिहास का हिस्सा बन गया है। उन्होंने कहा कि एकमात्र मुद्दा 22 फरवरी, 1994 को संसद द्वारा सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव की पूर्ति है, जिसमें जोर दिया गया है कि पाकिस्तान को अपने अवैध कब्जे के तहत जम्मू और कश्मीर के कुछ हिस्सों को खाली करना होगा। महाराजा द्वारा भारत में मिलाए गए जम्मू-कश्मीर के कुल क्षेत्रफल का 46 प्रतिशत हिस्सा हमारे पास बचा है, जबकि 54 प्रतिशत का बड़ा हिस्सा पाकिस्तान और चीन के अवैध कब्जे में है। जमीन पर फिर से कब्जा करना और इसे भारत के साथ जोड़ना हमारा अधिकार और हमारी प्रतिज्ञा है। चीन के अवैध कब्जे वाले क्षेत्र को जोड़ना हमारी प्रतिज्ञा से बाहर नहीं है।