- विकास दुबे की पत्नी ने तोड़ी चुप्पी, पुलिसवालों ने उन्हें यूज किया और मार डाला
- विकास एक अच्छा पति ही नहीं बल्कि एक अच्छा पिता भी था- रिचा दुबे
- विकास दुबे की पत्नी ने कहा कि वह भले ही मर चुके हैं लेकिन मेरी उम्मीदें जिंदा हैं
कानपुर: गैंगस्टर विकास दुबे (Vikas Dubey) की पत्नी रिचा दुबे (Richa Dubey) ने एनकाउंटर के 11 दिन बाद चुप्पी तोड़ी है। लखनऊ के कृष्णा नगर स्थित घर पर मीडिया से बात करते हुए रिचा दुबे न्यायिक व्यवस्था पर संतोष परा भरोसा जताते हुए कहा कि उसे न्याय जरूर मिलेगा। मीडिया से बात करते हुए कहा कि उन्होंने आधी रात के रक्तपात की घटनाओं के क्रम को याद किया जिसमें आठ पुलिस मारे गए थे। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, घटनाक्रम को याद करते हुए रिचा ने बताया, 'लगभग 2 बजे रात मुझे मेरे पति का फोन आया। उन्होंने मुझे लखनऊ घर से तुरंत भागने के लिए कहा है क्योंकि बिकरू में कई लोग मारे गए थे। मैं तब तक भागती रही जब तक मुझे दोस्त के घर में आश्रय नहीं मिला। उसी समय मेरी उनसे अंतिम बात बात हुई थी औऱ उसके बाद कोई बात नहीं हुई। हालांकि उसने इस बात का खुलासा नहीं किया कि वह किसके घर पर ठहरी हुईं थीं।
पुलिसवालें घर पर करते थे भोजन
रिचा ने कोरोना वायरस की वजह से लागू हुए लॉकडाउन के बारे में बात करते हुए कहा कि इस दौरान बिकरू स्थित घर पर पुलिसकर्मियों ने न केवल दोपहर और रात का भोजन किया बल्कि यहां रहे भी थे। रिचा ने कहा 'पुलिस ने उसका इस्तेमाल किया और फिर उन्हें खत्म कर दिया। मुझे संविधान पर पूरा भरोसा है और न्याय की जीत होगी।' गैंगस्टर विकास के नरम पक्ष को याद करती रिचा कहती हैं वह एक अच्छा पिता और देखभाल करने वाला पति था। रिचा ने बताया, 'वह एक अपराधी हो सकता था, लेकिन एक देखभाल करने वाला पति और एक पिता था। वह अपने दो बच्चों से बेहद प्यार करता था। हर महीने हमें खर्च के रूप में 40,000 रुपये मिलते थे। मेरा बड़ा बेटा शांतनु रूस में चिकित्सा की पढ़ाई कर रहा है और मेरे छोटे बेटे आकाश ने अपनी कक्षा 12 की परीक्षा में 90% अंक प्राप्त किए हैं। वह मर चुके हैं, लेकिन मेरी उम्मीदें अभी भी जिंदा हैं।'
1990 में हुई थी विकास से मुलाकात
विकास के साथ अपने अच्छे समय को याद करते हुए बताया कि हमारी पहली मुलाकात 1990 में हुई थी। रिचा बताती हैं, 'दुबे मेरे भाई, राजू निगम का एक अच्छा दोस्त था, जिसने हमारी शादी को बर्बाद कर दिया। इसके अलावा, वह ग्राम प्रधान के रूप में सक्रिय थे और गाँव में विवादों को हल करते थे। बिकरू में उनका सिक्का चलता था।' रिचा आगे बताती हैं, 'विकास की आपराधिक प्रोफ़ाइल के कारण, हमने 2004 में लखनऊ में एक घर बनाने का फैसला किया तांकि बच्चे गंदगी से दूर रहेंगे। मैं चाहती थी कि वे बेहतर जीवन का अध्ययन करें और आगे बढ़ें।'
सास के साथ संबंधों पर कही ये बात
अपनी सास सरला देवी के साथ अपने असहज संबंधों को भी याद करते हुए कहा कि विकास हमेशा अपने माता-पिता की इच्छाओं का सम्मान करते थे। इससे पहले गंगा के किनारे भैरवघाट पर जिस जब गैंगस्टर का अंतिम संस्कार किया गया था तो वह मीडिया को देखकर भड़क गईं थी। एक रिपोर्टर द्वारा नाराज किए जाने पर, उसने कहा था, अगर जरूरत पड़ी तो मैं बंदूक भी उठा लूंगी।