पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में मंगलवार (13 सितंबर, 2022) को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ तृणमूल सरकार (टीएमसी) सरकार के खिलाफ विरोध मार्च निकाला। इसे बीजेपी के अपनी सियासी रणनीति को फिर से व्यवस्थित करने के पहले कदम के तौर पर देखा जा रहा है, जिससे ठीक कुछ रोज पहले दल ने राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल और बिहार के पूर्व मंत्री मंगल पांडे की प्रभारियों के तौर पर नियुक्ति की थी।
बीजेपी पदाधिकारियों की मानें तो नबन्ना (राज्य सचिवालय) तक यह विरोध मार्च (School Service Commission Recruitment Scam में टीएमसी नेताओं की गिरफ्तारी के साथ सामने आए कथित भ्रष्ट आचरण के खिलाफ) राज्य सरकार के खिलाफ नए सिरे से अपना आंदोलन तेज करने से जुड़ा परिणाम था। दरअसल, 10 अगस्त 2022 को बंसल को सूबे का प्रभारी बनाया गया, जबकि पांडे की नियुक्ति का ऐलान बीते शुक्रवार को किया गया। पार्टी के एक नेता के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि टीएमसी सरकार पर दबाव बनाने और बढ़ाने का फैसला बंसल की अध्यक्षता वाली तीन दिवसीय एक मीटिंग में लिया गया था, जो कि सूबे में 29 अगस्त को हुई थी।
नाम न बताने की शर्त पर पार्टी के एक कार्यकर्ता ने अंग्रेजी अखबार 'एचटी' को इस बारे में बताया, “बंसल राज्य के लिए नए नहीं हैं। वह पहले भी यहां के चुनावों में शामिल रहे हैं, पर यह पहली बार है जब पार्टी के लिए रणनीति को आकार देने में उनकी भूमिका होगी। वैसे, उनका (बंसल) चुनाव में परिणाम देने का एक सिद्ध ट्रैक रिकॉर्ड है। पांडे की संगठनात्मक मामलों पर पकड़ है और उनके अनुभव टीएमसी से निपटने में मददगार होंगे।
समझा जा सकता है कि बंसल ने कार्यकर्ताओं को बूथ स्तर पर पार्टी की मौजूदगी को मजबूत करने और टीएमसी सरकार के खिलाफ विरोध, रैलियों और अन्य सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए आक्रामक योजना बनाने का निर्देश दिया था।
हालांकि, बीजेपी ने साल 2019 में 42 लोकसभा सीटों में से 18 और 2021 में 294 विधानसभा सीटों में से 77 पर जीत हासिल की थी, लेकिन राज्य इकाई फिलहाल नेताओं के बीच घर्षण और असहमति से जूझ रही है। नए राज्य प्रभारियों की नियुक्ति से राज्य इकाई में कई गुटों की चिंताओं को दूर करने की उम्मीद है।
पार्टी के एक दूसरे पदाधिकारी ने नाम न छापने की मांग करते हुए कहा- एक चीज जो आज सबसे अलग थी। वह यह कि सामंजस्य, जिसके साथ राज्य इकाई काम करती थी। त्रिभुज के तथाकथित तीन कोणों, दिलीप घोष (पूर्व अध्यक्ष), सुवेंदु अधिकारी (विपक्ष के नेता) और सुकांत मजूमदार (प्रदेश अध्यक्ष) की एक बैठक हुई थी।”
वैसे, राज्य भाजपा इकाई में हर कोई नियुक्तियों को लेकर उत्साहित नहीं है। राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की बंगाल प्रभारी के रूप में नियुक्ति की तरह ही कुछ नेता राज्य के प्रभार से अपरिचित नेताओं से खुश नहीं हैं।