- ममता बनर्जी ने विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का ऐलान कर खलबली मचा दी
- शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि नंदीग्राम में ममता बनर्जी को हराएंगे या राजनीति से संन्यास ले लेंगे
- बीजेपी 'मिशन बंगाल' को मजबूत करने के काम में लगी है
पश्चिम बंगाल (West Bengal) की राजनीति में दिलचस्प मोड़ आ रहे हैं, पिछले कुछ सालों से ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) जिन्हें "दीदी" के नाम से ज्यादा पहचाना जाता है उनका वर्चस्व राज्य की राजनीति में खासा बढ़ा हुआ है। वहीं बीजेपी राज्य में अपने पैर पसार रही है और लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने खासा अच्छा प्रदर्शन कर अपनी ताकत का एहसास भी बखूबी करा दिया है। बीजेपी 'मिशन बंगाल' को मजबूत करने के काम में लगी है और पार्टी के कद्दावर नेता राज्य के दौरे कर रहे हैं। वहीं टीएमसी (TMC) से टूटकर भारी कद वाले नेताओं का बीजेपी ज्वाइन करना भी लगातार जारी है। कभी ममता के दाएं हाथ रहे शुभेंदु अधिकारी (Shubhendu Adhikari) बीजेपी का दामन थामने के बाद लगातार टीएमसी को चोट पहुंचा रहे हैं।
वहीं ताजा घटनाक्रम में तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का ऐलान कर खलबली मचा दी है, नंदीग्राम को शुभेंदु अधिकारी का गढ़ माना जाता है, जो हाल ही में टीएमसी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए हैं।
नंदीग्राम में आयोजित एक रैली के दौरान ममता बनर्जी ने कहा, 'मैं नंदीग्राम सीट से चुनाव लड़ूंगी, अगर संभव हुआ तो भवानीपुर सीट से भी चुनाव लड़ूंगी।'
वहीं ममता बनर्जी के नंदीग्राम (Nandigram) से चुनाव लड़ने की घोषणा के कुछ ही देर बाद टीएमसी छोड़ बीजेपी में शामिल हुए शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि नंदीग्राम में ममता बनर्जी को हराएंगे या राजनीति से संन्यास ले लेंगे, गौरतलब है कि शुभेंदु अधिकारी नंदीग्राम सीट से ही चुनाव लड़ते आए हैं और यहां उनका खासा दखल और प्रभाव बताया जाता है उन्होंने 2016 में बतौर टीएमसी उम्मीदवार नंदीग्राम सीट जीती थी।
ममता बनर्जी ने नंदीग्राम में रैली कर ताकत दिखाई और कहा, 'मैंने हमेशा से नंदीग्राम से विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान की शुरुआत की है। यह मेरे लिए भाग्यशाली स्थान है। इस बार, मुझे लगा कि यहां से विधानसभा चुनाव लड़ना चाहिए। मैं प्रदेश पार्टी अध्यक्ष सुब्रत बख्शी से इस सीट से मेरा नाम मंजूर करने का अनुरोध करूंगी।'
नंदीग्राम में उस समय राज्य की सत्ता पर काबिज वाम मोर्चे की सरकार द्वारा स्पेशल इकोनॉमिक जोन के निर्माण के लिए जबरन भूमि अधिग्रहण करने के बाद बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे।
इन विरोध प्रदर्शनों का फायदा ममता और उनकी पार्टी को मिला जिसके कारण टीएमसी ने 34 साल के वाम मोर्चे के शासन का अंत कर सत्ता की चाबी हासिल की थी।
वहीं सुवेंदु अधिकारी को नंदीग्राम में हुए आंदोलन का चेहरा जाता है, अधिकारी ने अक्सर बनर्जी पर आरोप लगाया है कि उन्होंने क्षेत्र के लोगों को भुला दिया है जिन्होंने राज्य में उनकी सत्ता हासिल करने में मदद की है।