कोलकाता : राष्ट्रीय नागरिकता पंजीयन (एनआरसी) और नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को जहां देशभर में विरोध-प्रदर्शन जारी हैं, वहीं इस मुद्दे पर पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच टकराव भी साफ है। ममता ने जहां कई मौकों पर साफ किया है कि वह राज्य में एनआरी और सीएए को लागू नहीं करेंगी, वहीं धनखड़ भी कह चुके हैं कि उनके पास ना कहने का कोई विकल्प नहीं है और उन्हें इस कानून को मानना ही होगा। धनखड़ ने अब एक बार फिर सीएए पर ममता को कठघरे में खड़ा किया है और कहा कि उन्होंने संविधान के तहत जो शपथ ली है, उसका भी अपमान किया है।
धनखड़ का यह बयान ममता के एक जनसभा में यह कहे जाने के बाद आया है कि संयुक्त राष्ट्र या मानवाधिकार आयोग जैसी कोई निष्पक्ष व अंतरराष्ट्रीय संस्था एक कमेटी गठित कर यह देख ले कि यहां कितने लोग इसके पक्ष में हैं और कितने खिलाफ। उन्होंने इस मुद्दे पर जनमत संग्रह कराने की भी चुनौती दी। ममता की इस टिप्पणी को राज्यपाल धनखड़ संविधान के तहत ली गई शपथ के उल्लंघन के रूप में देखते हैं। उन्होंने सीएम से तुरंत अपना बयान वापस लेने और माफी मांगने को कहा है।
धनखड़ ने ट्वीट कर कहा, 'मुझे दुख है कि ममता बनर्जी ने हमारे आंतरिक मामलों में बाहर हस्तक्षेप की मांग कर पूरी तरह से अस्वीकार्य व असंवैधानिक रास्ता अपनाया है और मेरी अपील की उपेक्षा की। इससे हमारे लोकतांत्रिक ताने-बाने को नुकसान हुआ है।' ममता बनर्जी से तुरंत अपना अयान वापस लेने की मांग करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि एक सीनियर नेता और संवैधानिक पद पर होने के करण वह इस बात को लेकर बेपहरवाह नहीं हो सकतीं कि इस तरह की सोच के क्या परिणाम हो सकते हैं।