आजमगढ़ लोकसभा में समाजवादियों को हराना इतना आसान नहीं था। दिनेश लाल यादव निरहुआ 2019 में इसी सीट पर अखिलेश यादव से पराजित हुए थे। कल नतीजे आने के बाद से भाजपा के तमाम शीर्ष नेतृत्व ने निरहुआ को बधाई दी है। रवि किशन, मनौज तिवारी के बाद निरहुआ भाजपा से सांसद बनने वाले तीसरे भोजपुरी सुपरस्टार है, जो वर्तमान में सांसद है।
भाजपा नेतृत्व ने क्यों जताया दुबारा निरहुआ पर भरोसा
साल 2019 में जब यह कहा जा रहा था कि अखिलेश यादव पहले से मजबूत स्थिति में है और इस बार खुद के दम पर उत्तर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन कर सकते है, उस समय निरहुआ ने अखिलेश यादव के सामने समाजवादियों के गढ़ आजमगढ़ से चुनाव लड़ने का साहसिक फैसला लिया। उसी साल निरहुआ भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे। 2019 के लोकसभा चुनाव में निरहुआ ने आजमगढ़ के हर गली-मोहल्ले में जाकर वोट मांगा, चूंकि निरहुआ भोजपुरी सुपरस्टार है तो उनको देखने के लिए भारी संख्या में भीड़ जमा होती थी।
इसके बावजूद भी अखिलेश के सामने निरहुआ अपना जादू नहीं चला पाए और वो 2 लाख से अधिक मतों से चुनाव हार गए। लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान निरहुआ ने कहा था कि ' जब तक तोड़ेगे नहीं, तब तक छोड़ेंगे नहीं और अखिलेश यादव के लोकसभा से इस्तीफे के बाद पार्टी ने उपचुनाव के लिए एक बार फिर निरहुआ को मौका दिया।
अखिलेश के लापरवाही ने तोड़ा समाजवादियों का अभेद्य किला
आजमगढ़ समाजवादी पार्टी का मजबूत गढ़ रहा है, इस बार भी समाजवादी पार्टी के सभी नेताओं को यह विश्वास था कि वह अपने एमवाई फैक्टर के दम पर उपचुनाव जीत जाएगी। उपचुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला, भाजपा एवं सपा को बसपा ने भी कांटे की टक्कर दी। आजादी के बाद से आजमगढ़ लोकसभा से जीतने में भाजपा दूसरी बार जीत हासिल करने में कामयाब रही है।
अखिलेश यादव इस चुनाव में जनता से दूर ही रहे
अखिलेश यादव इस चुनाव में जनता से दूर ही रहे, जनता से इसी दूरी निरहुआ को जिताने में सबसे अहम भूमिका निभाई। विश्लेषक समाजवादी पार्टी के हार की सबसे बड़ा वजह अखिलेश से जनता के नाराजगी को ही बता रहे हैं।