- कारगिल युद्ध के बाद देश में सीडीएस की नियुक्ति की सिफारिश की गई थी।
- सीडीएस का पद एक सैन्य अधिकारी के साथ-साथ ब्यूरोक्रेट्स के रुप में भी होता है।
- अपरिहार्य स्थिति में सीडीएस का कार्यभार संभालने का फिलहाल कोई प्रावधान नहीं है।
नई दिल्ली: देश के पहले सीडीएस (CDS)बिपिन रावत की हेलिक्रॉप्टर क्रैश में हुई मौत के बाद उनकी जगह कौन लेगा, आज यही सबसे बड़ा सवाल है। इस संबंध में कैबिनेट कमेटी ऑफ सिक्योरिटी (CCS)जल्द फैसला ले सकती है। आम तौर पर सेना में उत्तराधिकारी के नियम स्पष्ट होते हैं। लेकिन चूंकि सीडीएस पद का सृजन ही पहली बार 2019 में बिपिन रावत की नियुक्ति के साथ हुआ है। और सीडीएस का काम मिलिट्री ऑफिसर और ब्यूरोक्रेट्स दोनों रुप में होता है। ऐसे में अभी उसकी सेकंड लाइन तैयार नहीं है और न ही ऐसा कोई पद है, जो कि किसी आपात स्थिति में सीडीएस का कार्यभार संभाल सके। ऐसे में अब सरकार के ऊपर है कि वह जल्द से जल्द फैसला लेकर नए सीडीएस का नियुक्ति करे।
क्या होता है सीडीएस
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले से देश को संबोधित करते हुए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) का पद बनाने की घोषणा की थी। इसके बाद थलसेना अध्यक्ष पद से रिटायर होने के बाद बिपिन रावत (Bipin Rawat) ने 1 जनवरी 2020 को पहले सीडीएस के रूप में पद संभाला था। सीडीएस का पद सृजित करने का प्रस्ताव 1999 में करगिल युद्ध की समीक्षा के बाद 2001 में मंत्रियों के एक समूह ने की थी।
GoM की इस सिफारिश के बाद सरकार ने साल 2002 में सीडीएस पद को सृजित करने के लिए इंटीग्रेटिड डिफेंस स्टाफ बनाया। जिसे सीडीएस के सचिवालय के तौर पर काम करना था। लेकिन पहला सीडीएस देश को 2020 मिल पाया। बिपिन रावत की नियुक्ति का आदेश 30 दिसंबर 2019 को किया गया और एक जनवरी 2020 को उन्होंने पहले सीडीएस के रूप में पद संभाला था।
सीडीएस का क्या है काम
सीडीएस एक चार स्टार सैन्य अधिकारी होता है। जो तीनों सेना प्रमुख में ‘फर्स्ट अमंग द इक्वल’के रुप में होता है। वह रक्षा मंत्री का सिंगल प्वाइंट एडवाइजर होता है। सीडीएस रक्षा मंत्रालय के अधीन डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स का हेड होता है और उसका सेक्रेटरी भी होता है। इसके अलावा वह चीफ ऑफ द स्टाफ कमेटी का स्थाई अध्यक्ष भी होता है।
साथ ही उसके पास सेना के तीनों अंगों के लिए लंबी अवधि की प्लानिंग, ट्रेनिंग, खरीद आदि के लिए कोऑर्डिनेशन की भी जिम्मेदारी होती है। उसके पास साइबर और स्पेस कमांड का भी जिम्मा होता है। सीडीएस का कार्यकाल 3 साल और अधिकतम 65 वर्ष की उम्र तक होता है।
उत्तराधिकार के क्या हैं नियम
आम तौर पर सेना में हर अधिकारी के नीचे दूसरा-इन-कमांड अधिकारी होता है। चाहे वह फील्ड में हो या एक सेवा प्रमुख के रूप में। आम तौर पर मुख्य अधिकारी के अस्वस्थ होने पर, वहीं काम करता है। फिलहाल सीडीएस के लिए इस तरह की व्यवस्था नही है। ऐसे में अब सरकार के स्तर पर नए सीडीएस की जल्द से जल्द नियुक्ति की जाएगी। फिलहाल तीनों सेना प्रमुखों में थल सेना अध्यक्ष एम.एम.नरवणे सबसे वरिष्ठ हैं।