- सात अगस्त को कोझिकोड एयरपोर्ट पर नैरो बॉडी विमान रनवे से फिसला था
- विमान हादसे में 18 लोगों की गई थी जान, मरने वालों में पायलट और को पायलट भी थे शामिल
- एएआईबी, विमान हादसे की कर रहा है जांच
नई दिल्ली। सात अगस्त को वंदे भारत मिशन के तहत दुबई से कालीकट एयर इंडिया एक्सप्रेस एयरक्राफ्ट लैंडिंग के दौरान हादसे का शिकार हो गया। टेबल टॉप रनवे पर लैंडिंग के दौरान विमान फिसल कर 35 फुट गहरी खाईं में जा गिरा। उस हादसे में 18 लोगों की मौत हो गई। लेकिन 172 यात्रियों को बचा लिया गया। उस हादसे के बाद से ही सवाल उठने लगा कि आखिर खामी किसकी थी। अब डीजीसीए ने फैसला किया है कि मानसून के दौरान कोझिकोड एयरपोर्ट पर वाइड बॉडी विमानों को इस्तेमाल में नहीं लाया जाएगा।
यहां यह जानना जरूरी है कि कांग्रेस की तरफ से आरोप लगाया गया था कि कोझिकोड में जिस विमान की लैंडिंग हुई थी वो वाइड बॉडी एयरक्राफ्ट था। लेकिन सिविल एविएशन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा था कि अच्छा होता कि कांग्रेस के सांसद थोड़ा बहुत पढ़ लेते कि वाइन और नैरो बॉडी विमान में क्या फर्क होता है। उन्होंने कहा कि अच्छा होता कि कांग्रेस के सांसद रवनीत सिंह तथ्यों के बारे में जानकारी कर लेते उसके बाद किसी तरह का बयान देते।
वाइड बॉडी एयरक्राफ्ट
वाइड बॉडी एयरक्राफ्ट में एक पंक्ति में 10 सीटें होती हैं और उनके बीच में दो गलियारे होते हैं। केरल में एयर इंडिया एक्सप्रेस का बोइंग 737 नैरो बॉडी एयरक्राफ्ट था जिसके बारे में सवाल उठाया जा रहा था। सामान्य तौर पर किसी भी एयरलाइंस में विमानों की कुल संख्या का चार फीसद ही वाइड बॉडी एयरक्राफ्ट होता है।
नैरो बॉडी एयरक्राफ्ट
नैरो बॉडी एयरक्राफ्ट में सामान्यतया एक पंक्ति में 6 सीट होती है और एक गलियारा होता है। किसी भी एयरलाइंस में नैरो बॉडी एयरक्राफ्ट की संख्या 96 फीसद होती है। सिविल एविएशन मंत्री ने हरदीप सिंह पुरी ने कहा था कि ब्लैक बॉक्स मिल चुका है और हादसे के पीछे कौन सी वजह जिम्मेदार थी उसके बारे में जानकारी मिल जाएगी।
विमान हादसे में 18 लोगों की चली गई थी जान
बता दें कि जिस समय कोझिकोड एयरपोर्ट पर विमान लैंडिंग की तैयारी में था उससे कुछ देर पहले भारी बारिश हो रही थी। इसके साथ यह भी आरोप लगा है कि रनवे नंबर 10 पर विमान के लैंडिंग की इजाजत क्यों दी गई, हालांकि कहा जा रहा है कि रनवे की लंबाई 9600 फुट थी जो पर्याप्त थी। विमान के पायलट ने दीपक वी साठे ने लैंडिंग से पहले तीन बार हवा में चक्कर लगाया ताकि ईंधन खत्म हो जाए। इसके साथ लैंडिंग करने से पहले ही विमान का इंजन बंद कर दिया था, जिसकी वजह से विमान में आग नहीं लगी।