- लॉकडाउन के दौरान वन्यजीवों पर बढ़ा शिकार का खतरा
- लॉकडाउन के दौरान वन्यजीवों के शिकार के दोगुने मामले आए सामने
- मांस के लिए लॉकडाउन के दौरान किया गया जंगली जानवरों का शिकार
नई दिल्ली: केरल में एक जंगली गर्भवती हथिनी को बारूद से भरा अनानास खिलाए जाने के बाद उसकी हुई उसकी मौत की घटना ने पूरे देश को झखझोर कर रख दिया है। ऐसे में कोरोना काल में वन्यजीवों से जुड़ी एक रिपोर्ट सामने आई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना वायरस की वजह से देश में लगे लॉकडाउन के दौरान भारत में वन्यजीवों के शिकार की दोगुनी घटनाएं सामने आई हैं।
वन्यजीव व्यापार निगरानी नेटवर्क 'ट्रैफिक' और जंगली जानवरों के व्यापार को लेकर वैश्विक स्तर पर काम करने वाले एक गैर सरकारी संगठन के अध्ययन में कहा गया है कि 10 से 22 फरवरी के बीच जानवरों के शिकार की घटनाओं की तादाद 35 थी जबकि लॉकडाउन के दौरान 23 मार्च से तीन मई के बीच ऐसी 88 घटनाएं सामने आईं।
'कोविड-19 संकट के बीच भारतीय वन्यजीव: अवैध शिकार एवं वन्यजीव व्यापार विश्लेषण' नामक इस अध्ययन में बताया गया है कि लॉकडाउन के दौरान नौ तेदुओं का शिकार किया गया जबकि लॉकडाउन से पहले चार तेंदुओं का शिकार किया गया था।
इस रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि शिकार की जो भी घटनाए इस दौरान घटीं वो मांस के लिए की गई थीं। लॉकडाउन के दौरान वन्यजीवों के शिकार का व्यापार दोगुना हो गया। हालांकि इस दौरान इस बात के कोई साक्ष्य नहीं मिले कि लोगों ने वन्यजीवों का शिकार करके उनसे जुड़ी चीजों को भविष्य के लिए सहेज कर रखा है।
इस रिपोर्ट में इस बात के भी संकेत मिले हैं कि सरकार की तमाम एजेंसियों की पुरजोर कोशिशों के बावजूद भारत में वन्यजीवों की संख्या में कमी आ रही है। लॉकडाउन के दौरान वन्यजीवों के ऊपर शिकार का खतरा और बढ़ गया था। लॉकडाउन के दौरान लोगों ने मांस के लिए जंगली जानवरों का शिकार किया।
वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड यानी डब्लूडब्लूएफ के भारत प्रमुख रवि सिंह ने कहा कि यदि हम छोटे जानवरों के शिकार के आंकड़े नहीं रखेंगे तो पूरा इकोसिस्टम इससे प्रभावित होगा। छोटे जानवरों के शिकार का सीधा असर बाघ और तेंदुए जैसे जानवरों पर पड़ेगा।