- कोविड 19 की तीसरी लहर में बच्चों को बताया जा रहा खतरा
- सरकार ने कहा- इसका कोई ठोस सबूत नहीं
- सरकार ने आंकड़े जारी कर बताया कि पहली और दूसरी लहर में किस आयु वर्ग के कितने लोग प्रभावित हुए
नई दिल्ली: हाल ही में जब कोरोना वायरस की दूसरी लहर आई तो इससे काफी नुकसान हुआ। कहा जाने लगा कि तीसरी लहर में बच्चों पर असर पड़ेगा। इसके पीछे एक कारण दिया गया कि अभी 18 साल से कम उम्र के बच्चों को वैक्सीन लगनी शुरू नहीं हुई है, इससे तीसरी लहर में उनमें खतरा ज्यादा रहेगा। ये भी कहा गया कि पहली लहर में बुजुर्ग लोग ज्यादा प्रभावित हुए, जबकि दूसरी लहर में युवाओं पर कहर टूटा।
हालांकि सरकार ने आंकड़ों से बताया है कि दूसरी लहर में किस आयु वर्ग के कितने लोग संक्रमित हुए। कोविड-19 की दूसरी लहर में बच्चों और युवा आबादी के अधिक प्रभावित होने की धारणाओं को खारिज करते हुए सरकार ने कहा कि 1-20 आयु वर्ग के लोगों में दोनों लहरों के दौरान दर्ज किए गए मामले 12 प्रतिशत से कम रहे है। दूसरी लहर (15 मार्च से 25 मई) के दौरान कुल मामलों में 1-20 साल की उम्र के लोगों की संख्या 11.62 प्रतिशत थी, जबकि पहली लहर (एक जुलाई से 31 दिसंबर) में 11.31 प्रतिशत थी, जो इस आयु वर्ग में संक्रमित लोगों के अनुपात में बहुत अंतर नहीं दर्शाता है।
आंकड़ों से समझें स्थिति
आंकड़ों से पता चला है कि 21-50 आयु वर्ग दोनों लहरों में सबसे अधिक प्रभावित वर्ग था। इस श्रेणी के लोगों में पहली लहर में 59.74 प्रतिशत संक्रमण था, जबकि दूसरी लहर में 62.45 प्रतिशत था। आंकड़ों के अनुसार 61 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिए, पहली लहर में यह अनुपात 13.89 प्रतिशत और दूसरी लहर में 12.58 प्रतिशत था। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि पहली लहर में एक से 10 साल के आयु वर्ग में संक्रमण के 3.28 प्रतिशत मामले सामने आए, जबकि दूसरी लहर में यह 3.05 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि पहली लहर में 11-20 वर्ष के आयु वर्ग में 8.03 प्रतिशत और दूसरी लहर में 8.57 प्रतिशत लोग संक्रमित हुए।
तीसरी लहर आने पर बच्चों के ज्यादा प्रभावित होने की आशंका के बीच सरकार ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि बच्चों के बीच गंभीर संक्रमण होने का संकेत देने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं है, लेकिन फिर भी सभी आयु वर्ग के लोगों को सतर्क रहने और सावधानियों का पालन करने की आवश्यकता है।
(भाषा के इनपुट के साथ)