- कोरोना महामारी की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति ने दिया है आदेश
- जो बाइडेन ने इसके लिए अपनी खुफिया एजेंसियों को दिया है 90 दिनों का समय
- चीन के वुहान शहर में पहली बार सामने आए थे कोरोना संक्रमण के केस
नई दिल्ली : अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कोरोना वायरस की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए अपनी खुफिया एजेंसियों को 90 दिनों का समय दिया है। यानि कि कोरोना की उत्पत्ति किसी प्रयोगशाला में हुई या इसका संक्रमण जानवर से इंसानों में फैला, इस पर खुफिया एजेंसियां अपनी रिपोर्ट सौंपेंगी। डब्ल्यूएचओ की टीम वायरस की उत्पत्ति के बारे में जांच कर रही है लेकिन उसकी रिपोर्ट सवाल के घेरे में है। जाहिर है कि अमेरिकी राष्ट्रपति के जोर के बाद वहां की खुफिया एजेंसियां सक्रिय होंगी और वायरस का सच सामने लाने का प्रयास करेंगी।
जिम्मेदारी तय होनी चाहिए
कोरोना के महामारी ने दुनिया को बदलकर रख दिया है। पिछले दो सालों में दुनिया भर में कोरोना संक्रमण से 34 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। अकेले भारत में 3 लाख 15 हजार से ज्यादा जानें गई हैं। लोगों ने अपने करीबियों, चहेतों को खोया है। यह त्रासदी बहुत बड़ी है। मानवता के लिए संकट बनी यह महामारी कैसे, कहां और किस वजह से फैली इसकी जानकारी पाना सभी का हक है। महामारी फैलाने के लिए यदि कोई जिम्मेदार है तो उसकी जिम्मेदारी भी तय होनी चाहिए।
चीन ने सच छिपाया, दुनिया को गुमराह किया
कोरोना महामारी की शुरुआत सबसे पहले चीन में हुई। दिसंबर 2019 में चीन के वुहान शहर में सबसे पहले संक्रमण के केस मिले। लेकिन इस महामारी की भयावहता की जानकारी दुनिया को देने में चीन ने देरी की। संक्रमण के मामले सामने आने के बाद उसने अपने यहां घरेलू उड़ानों पर दिसंबर में ही रोक लगा दिया लेकिन अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर उसने प्रतिबंध मार्च में लगाया। इस दौरान चीन से संक्रमण अन्य देशों में फैलता रहा। महामारी की विकरालता के बारे में उसने सही समय पर दुनिया को नहीं दी। यही नहीं, आबादी के लिहाज से चीन दुनिया का सबसे बड़ा देश है। महामारी की शुरुआत भी यहां हुई लेकिन उसने अपने यहां संक्रमण का आंकड़ा 85 हजार के आसपास बताया। महामारी की शुरुआत होने वाले इतने बड़े देश में संक्रमण की संख्या 85 हजार पर समिट जाएगी इस पर भी संदेह होता है।
डब्ल्यूएचओ की जांच रिपोर्ट पूरी नहीं
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक टीम कोरोना की उत्पत्ति की जांच कर रही है। विशेषज्ञों की इस टीम ने फरवरी-मार्च में वुहान का दौरा किया। टीम ने वुहान शहर में जांच-पड़ताल की। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में कहा गया है कि जानवर से इंसान में संक्रमण फैल सकता है लेकिन प्रयोगशाला में इसे बनाए जाने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। इस रिपोर्ट पर भी सवाल उठे हैं। यह टीम चीन से संक्रमण के शुरुआती आंकड़े चाहती थी लेकिन बीजिंग ने इसे साझा करने से इंकार कर दिया। चीन ने टीम को वुहान स्थित अपने प्रयोगशाला का दौरा करने की भी अनुमति नहीं दी।
खुद को भुक्तभोगी बताता है चीन
चीन कहता है कि वह इस महामारी से खुद पीड़ित है। उसने समय रहते दुनिया को इस महामारी को जानकारी दी लेकिन दुनिया को उसकी मंशा पर विश्वास नहीं है। अमेरिका सहित दुनिया के शक्तिशाली देश इसकी निष्पक्ष एवं तार्किक जांच चाहते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान के बाद चीन तिलमिला गया है। उसने अमेरिका पर अपनी जिम्मेदारी से बचने और राजनीति करने का आरोप लगाया। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा है कि राष्ट्रपति बाइडन का आदेश दिखाता है कि अमेरिका, ‘तथ्यों और सच्चाई की परवाह नहीं करता और न ही उसकी रुचि वैज्ञानिक तरीके से वायरस के उद्गम का पता लगाने में है।’