- सीएम ने कहा कि दूसरे प्रदेशों से आने वाले प्रवासी मजदूरों के लिए सरकार ने किए हैं इंतजाम
- प्रदेश में सात लाख क्वरंटाइन बेड तैयार हैं और जरूरत पड़ने पर इसे 9 लाख किया जा सकेगा
- मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रीन जोन में शर्तों के साथ दुकानें एवं कारोबार खोलने की इजाजत दी जाएगी
नई दिल्ली : कोविड-19 के प्रकोप से पूरा देश लड़ रहा है। केंद्र और राज्य सरकारें इस महामारी से पूरी ताकत से लड़ रही हैं। देश का सबसे बड़ा सूबा उत्तर प्रदेश भी कोरोना वायरस महामारी की चपेट में है। जाहिर है कि उत्तर प्रदेश बड़ा राज्य है तो यहां चुनौतियां एवं समस्याएं भी बड़ी हैं लेकिन इस संकट का सामना करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जो रणनीति एवं कार्य योजना बनाई है उसकी चर्चा देश और विदेश दोनों जगहों पर हो रही है। कोविड-19 के खतरों से निपटने के लिए राजनीतिक और प्रशासनिक दोनों मोर्चों पर मुख्यमंत्री आदित्यनाथ का नेतृत्व मजबूती के साथ उभरा है। चुनौतीपूर्ण समय में मुख्यमंत्री योगी रोजाना करीब 20 घंटे काम कर रहे हैं। अपनी इन व्यस्तताओं के बीच मुख्यमंत्री ने हमारे सहयोगी समाचार पत्र टाइम्स ऑफ इंडिया से बात की है। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश-
यूपी में लॉकडाउन के डेढ़ महीने बीत जाने और कोरोना के करीब 2150 केस सामने आने के बाद आप यूपी का प्रदर्शन कैसा देख रहे हैं? क्या महामारी का उच्च स्तर बीत गया है या आने वाला है?
मुख्यमंत्री ने योगी ने कहा कि लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के करीब डेढ़ महीने गुजर जाने के बाद राज्य में अभी 1600 से सक्रिय केस हैं। ये कहा जा सकता है कि हम सुरक्षित हैं लेकिन कोरोना की चेन हर स्तर पर टूटनी चाहिए। कोरोना का पहले केस सामने आने के बाद मार्च की शुरुआत में हमने कोरोना से निपटने के कदम उठाने शुरू कर दिए। हमने होली समारोह स्थगित किए। यहां तक कि मैं होली समारोह में शामिल नहीं हुआ। कोविड-19 के खतरे को देखते हुए शैक्षणिक संस्थाएं, सिनेमाहाल, मॉल्स, मल्टीप्लेक्स और बाजार बंद कर दिए गए। पीएम मोदी ने जब 22 मार्च को जनता कर्फ्यू की घोषणा की तो यूपी के 16-17 जिले पहले से ही लॉकडाउन में थे। बाकी जिलों में 25 मार्च से लॉकडाउन लागू हो गया। हमारे सामने अभूतपूर्व स्थिति पैदा हुई और इससे निपटने के लिए उसी तरह के कदम भी उठाने पड़े।
यूपी सरकार को उम्मीद है कि 10 लाख प्रवासी मजदूर वापस आएंगे। उनके लिए सरकार की योजना क्या है? स्थितियां बदलने पर क्या ये मजदूर वापस जाएंगे?
यह हमारे लिए एक अवसर की तरह है। मैंने इसके बारे में अपने मंत्रियों एवं अधिकारियों के साथ बातचीत की है। हम मानकर चल रहे हैं प्रदेश में आने वाले मजदूर अलग-अलग कार्य करने का कौशल रखते हैं। हम यूपी में उनके स्किल का इस्तेमाल करने की सोच रहे हैं। इस पर काम करने के लिए हमने कैबिनेट एवं अधिकारी स्तर पर कमेटियां बनाई हैं।
क्या दूसरे प्रदेशों से पहुंचने वाले प्रवासियों की स्क्रीनिंग होगी? क्या लाखों लोगों के सैंपल्स की जांच के लिए सरकार के पास पर्याप्त किट है?
मजदूरों को वापस लाते समय हम यह देख रहे हैं कि वे अपने साथ संक्रमण न ले आएं। ऐसे में जिनमें बीमारी का कोई लक्षण सामने नहीं आएगा उन्हें उनके घर में 14 दिन के लिए क्वरंटाइन में रखा जाएगा जबकि संदिग्ध केस को क्वरंटाइन केंद्रों में रखने की योजना है। कोविड-19 के पॉजिटिव केस को ही अस्पताल भेजा जाएगा। हमने सभी तीन श्रेणियों एल-1, एल-2 और एल-3 अस्पतालों में 52,000 बेड्स तैयार रखे हैं। यह एक चुनौतीपूर्ण समय है लेकिन हम अपनी टीम वर्क से इससे निपट लेंगे। हम सात लाख क्वरंटाइन बेड के साथ पहले से ही तैयार हैं और जरूरत पड़ने पर दो दिन में इसे बढ़ाकर 10 लाख कर लेंगे।
ग्रीन जोन में पहले ही थोड़ी-बहुत ढील है लेकिन तीन मई के बाद रेड और ऑरेंज जोन को लेकर क्या योजना है? कारोबार के केंद्र नोएडा और गाजियाबाद रेड जोन में हैं। क्या सरकार के पास रेड जोन को खोलने की कोई योजना है?
हम कोई खतरा नहीं उठाना चाहते। हम रेड और ऑरेंज जोन को लेकर एक बड़ी योजना पर काम कर रहे हैं। सबसे पहला काम इन्हें परिभाषित करना है। हम सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के निर्देशों के साथ ग्रीन जोन में चरणबद्ध तरीके से दुकानों एवं उद्योगो के लिए छूट देंगे। जहां तक रेड और ऑरेंज जोन की बात है, हम इस पर विस्तृत कार्ययोजना तैयार कर रहे हैं। मौतों को रोकने के लिए कोरोना वायरस की चेन को तोड़ना जरूरी है और इसके लिए सोशल डिस्टेंसिंग एवं लॉकडाउन का पालन करना जरूरी है। लॉकडाउन के दौरान डेढ़ महीने में हमें जो उपलब्धियों मिली हैं उस पर हमें इतराना नहीं है।
कोविड-19 से लड़ाई में सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण क्या रहा है? और वह कौन सी चीज है जिसने आपको भावुक बनाया है?
चुनौतियों से टकराना अब हमारी आदत बन गई है तो अब कोई समस्या नहीं है। यह इसलिए है क्योंकि हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में काम कर रहे हैं। पीएम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हमारा लगातार मार्गदर्शन करते रहते हैं। लेकिन कई समय मानसिक तनाव के भी आए। एक ऐसा ही समय 28 और 29 मार्च को आया जब लॉकडाउन का उल्लंघन कर करीब चार लाख से ज्यादा प्रवासी दिल्ली से पैदल उत्तर प्रदेश की तरफ निकल पड़े। इन लोगों की सुरक्षित यात्रा का प्रबंध करना एक बड़ी चुनौती थी लेकिन ईश्वर की कृपा से हम व्यवस्था बनाने में सफल रहे। आज नोएडा और यूपी दोनों सुरक्षित हैं।