ज्ञात हो कि 5 बार गोरखपुर से सांसद रहे योगी आदित्यनाथ नाथ संप्रदाय से ताल्लुक रखते हैं। यही वजह है कि सेवा भाव उनके व्यवहार और व्यक्तित्व का अहम हिस्सा है। गरीब, किसान, असहाय, मजदूरों के दुख दर्द को उन्होंने हर बार महसूस किया है और उन्हें दूर करने के ठोस कदम उठाए हैं। कोरोना संकट काल में उनका जो संवेदनशील रूप दिखाई दे रहा है, वह उनकी परवरिश का ही नतीजा है। महंत अवेद्यनाथ के संपर्क में आने के बाद उन्होंने अपने आसपास सेवा भाव का ही माहौल पाया और वह स्वयं इसमें रम गए। तभी तो मुख्यमंत्री बनने से पहले तक दीवाली का त्यौहार वह बंटागियां जाति के लोगों के साथ मनाते थे। इस प्रजाति के लोगों के पास ना वोटर कार्ड था, ना राशन कार्ड। योगी आदित्यनाथ को भी उनके वोटों का लालच नहीं था लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने आवास योजना में बंटागियां जाति के लोगों को आवास देने का भी काम किया। गोरखनाथ मंदिर की पृष्ठभूमि में पले बढ़े योगी आदित्यनाथ का यही सेवा भाव कोरोना संकट काल में दिखाई दे रहा है। वह समाज के निचले वर्ग के दर्द को महसूस कर उन्हें दूर करने का प्रयास कर रहे हैं।
कुछ समय पहले की बात है। उत्तर प्रदेश जैसे सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ अपने आवास 5, कालिदास मार्ग पर रोजाना की तरह टीम-11 की मीटिंग कर रहे थे। मीटिंग पूरी हुई तो एक अधिकारी ने उन्हें अपने मोबाइल में एक वीडियो दिखाया। इस वीडियो में राजस्थान के कोटा में फंसी एक छात्रा नजर आ रही थी जोकि अपने घर यानि यूपी आना चाहती थी। मुख्यमंत्री ने कुछ पल सोचा और 24 घंटे के भीतर इस संबंध में मीटिंग बुला ली। 17 अप्रैल को राजस्थान के कोटा में फंसे लगभग 12 हजार छात्रों को लेने के लिए 300 भेजने का निर्देश दिया। इसी के साथ उन्होंने साथ निर्देश दिया कि छात्रों को लाने में लॉकडाउन की भावना का पूरा ख्याल रखा जाए। सभी बसें सेनिटाइज की जाएं और उसके बाद थर्मल स्क्रीनिंग करके ही छात्रों को बस में बिठाया जाए। कुछ ही दिन में कोटा से बच्चे यूपी अपने गृह जनपदों में सुरक्षित पहुंच गए और मुख्यमंत्री ने खुद 30 अप्रैल को उन सभी से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बात कर हालचाल जाना।
योगी आदित्यनाथ पिता के निधन के बावजूद उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने की बजाय राजधर्म निभाते हुए 23 करोड़ जनता की सुरक्षा में मुस्तैदी से खड़े हैं। उन्होंने छात्रों के दर्द को ना केवल जाना, बल्कि उसे अपना दर्द समझा। स्टूडेंट्स के साथ उनके घरवाले भी परेशान थे कि आखिर कब वे घर पहुंचेंगे। लॉकडाउन की सख्ती के बीच उन बच्चों की घर वापसी की उम्मीदें खत्म होती जा रही थीं, ऐसे में योगी आदित्यनाथ उन छात्रों के लिए उम्मीद की किरण बने।
ये स्टूडेंट्स जब घर पहुंचे तो घरवालों के मन को भरोसा हुआ कि सूबे की योगी सरकार उनकी चिंता करती है। कोटा से अपने घर कानपुर पहुंचे सौरभ शुक्ल वहां बैंक पीओ की तैयारी करने गए थे। सौरभ योगी सरकार के इस फैसले ने उन्हें बाकी राज्यों में रोल मॉडल बना दिया। जब इस फैसले की कोटा में रह रहे बाकी राज्यों के छात्रों को मिली तो बिहार के छात्र कहने लगे कि काश! उनके यहां भी कोई योगी आदित्यनाथ जैसा सुपरहीरो होता। अपने परिवार का दर्द भूलकर, प्रदेश के जनता का दर्द कम करने वाले मुख्यमंत्री हैं योगी आदित्यनाथ।
प्रयागराज के छात्रों ने जब मांगी मदद
कोटा के छात्र अपने अपने गृह जनपद पहुंचे तो उत्तर प्रदेश में शिक्षा का कहे जाने वाले प्रयागराज के छात्रों के मन में भी अपनी घर वापसी की उम्मीद जगी। यहां भी 10 हजार ऐसे छात्र थे जो लॉकडाउन से पहले अपने घर नहीं पहुंचे। इन छात्रों को घर पहुंचाने की व्यवस्था भी योगी सरकार ने की। इतना ही नहीं, जब यह संज्ञान में आया कि प्रयागराज जैसे ही छात्र दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ और अलीगढ में फंसे हैं तो योगी सरकार ने आदेश जारी कर उन्हें घर पहुंचाने का निर्देश जारी किया। दिल्ली से अरविंद केजरीवाल और कोलकाता से ममता बनर्जी भी छात्रों को लाने के लिए बसें भेज रही हैं। यह साबित हो गया कि कोरोना से निबटने में योगी आदित्यनाथ सबसे योग्य मुख्यमंत्री और राजनीतिज्ञ साबित हुए हैं।
कोई पैदल ना निकले, सबको पहुंचाएंगे घर
सीएम योगी ने देश के विभिन्न राज्यों में रहने वाले यूपी के श्रमिकों से पैदल यात्रा नहीं करने की भावुक अपील करते हुए कहा कि यूपी सरकार सभी की सुरक्षित वापसी के लिए राज्य सरकारों से वार्ता कर कार्ययोजना बना रही है। साथ ही कोटा, हरियाणा, प्रयागराज के बाद मध्यप्रदेश में रहने वाले श्रमिकों व कामगारों को यूपी लाने की कवायद की गई। मुख्यमंत्री योगी ने उत्तर प्रदेश के प्रवासी श्रमिकों की वापसी के लिए पंजाब, गुजरात, दिल्ली, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, महाराष्ट्र, उड़ीसा एवं अन्य प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को पत्र भी लिखा है। मध्य प्रदेश से अब तक 155 बसों के द्वारा 5,259 लोगों को लाया जा चुका है जबकि 50 बसों द्वारा उत्तर प्रदेश से मध्य प्रदेश के लोगों को भेजा जा रहा है। ऐसा ही घर वापसी अभियान गुजरात, उत्तराखंड और राजस्थान में भी चलाया गया। अब तक दिल्ली से लगभग 04 लाख तथा हरियाणा से 12 हजार प्रवासी श्रमिकों एवं कामगारों की प्रदेश में सुरक्षित वापसी कराई गई है।
ट्रेनों से वापस आए हजारों मजदूर
महाराष्ट्र के नासिक से 'श्रमिक स्पेशल' ट्रेन से 800 से ज्यादा प्रवासी मजदूर लखनऊ पहुंचे। वहीं नागपुर से भी विशेष ट्रेन 1021 श्रमिकों को लेकर लखनऊ आई जिन्हें 44 बसों के द्वारा उनके गृह जनपद भेजा गया। महाराष्ट्र के भिवंडी से 1145 श्रमिकों को लेकर आई ट्रेन रविवार देर रात मुख्यमंत्री के शहर गोरखपुर पहुंची तो दूसरी ट्रेन 982 मजदूरों को लेकर सुबह पांच बजे गोरखपुर आई। पूरे देश में यूपी के मजदूर कहीं भी फंसे हों, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उनकी सकुशल वापसी और रोजगार की चिंता में लगे हैं। घर वापसी के लिए उन्होंने पंजीकरण की भी व्यवस्था की है। योगी आदित्यनाथ के निर्देशों पर राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) द्वारा उत्तर प्रदेश के जनसुनवाई पोर्टल http://jansunwai.up.nic.in पर पंजीकरण की यह सुविधा उपलब्ध करा दी गई है। इसमें उत्तर प्रदेश से अन्य राज्य जाने हेतु तथा अन्य राज्यों से उत्तर प्रदेश आने हेतु लिंक्स दिए गए हैं।
कोरोना के खतरे को देखते हुए
अन्य राज्यों से उत्तर प्रदेश आने वाले मजदूरों से कोरोना के संक्रमण का खतरा ना हो, इसलिए भी सीएम योगी ने ठोस कदम उठाने की बात कही। उन्होंने प्रदेश में एल-1, एल-2, एल-3 अस्पतालों में 52 हजार अतिरिक्त बेड बढ़ाने का आदेश पहले ही दिया था। अब इस संख्या को एक लाख तक कैसे बढ़ाया जा सकता है? इसके लिए कार्ययोजना बनाने का भी निर्देश दिया। उन्होंने क्वारंटीन सेंटरों की क्षमता को 10 लाख तक करने का निर्देश दिया। राज्यों से वापस आए मजदूरों को 14 दिन क्वारंटीन में रखने के बाद उनके घर रवाना किया जा रहा है।
सबने स्वीकारा घर वापसी का योगी मॉडल
कोटा में फंसे 12 हजार छात्रों को यूपी लाने के लिए 300 बस भेजने पर योगी आदित्यनाथ सरकार पर कई राज्य सरकारों ने निशाना साधा था। सबसे अधिक विरोध बिहार की नीतीश सरकार ने किया था और इस कदम को लॉकडाउन की भावना के खिलाफ बताया था। अब वही राज्य सरकारें योगी के इस मॉडल को अपनाकर मजदूरों को वापस ला रही है, वहीं बिहार भी कोटा में फंसे छात्रों को गृह राज्य ले जाने की तैयारी कर रहा है। जो जहां फंसा है, चाहे वह मजदूर हो या छात्र, उन्हें अपने राज्य लाने और मेडिकल चेकअप/क्वारंटीन के बाद घर पहुंचाने का मॉडल कारगर हुआ। पूरे देश ने इसे फॉलो किया। गृह मंत्रालय द्वारा जारी की गई गाइडलाइन के बाद महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, झारखंड जैसे राज्यों ने भी अपने अपने प्रदेशों के मजदूरों को वापस लाने की जुगत शुरू कर दी।
मजबूत हुई योगी की जमीन
कोरोना संकट काल में उत्तर प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा लिए गए फैसलों की सराहना पूरे देश में हो रही है। टीम 11 बनाना हो, जरूरतमंदों और मजदूरों को राहत पैकेज की घोषणा हो, कोरोना की जांच बढ़ानी हो, कम्यूनिटी किचन बनानी हो, सभी कार्य परिणाम देने वाले और सराहनीय रहे। योगी आदित्यनाथ ने संकट को अवसर में बदलने का काम किया है और 2022 के लिए जमीन को मजबूत कर लिया है। देश की जनता ने कोरोना काल में योगी आदित्यनाथ का अलग ही रूप देखा जोकि एक ऐसे सफल नायक और कर्मयोगी का है जिसके लिए प्रदेश की जनता की सुरक्षा सर्वोपरि है। इस छवि के दूरगामी परिणाम देखने को मिलेंगे। राष्ट्रीय स्तर पर योगी आदित्यनाथ की स्वीकार्यता बढ़ेगी।