- 15 अगस्त को देश मनाएगा 74वां स्वतंत्रता दिवस
- पीएम नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल में दूसरी बार फहराएंगे तिरंगा
- 2014 से हर वर्ष 15 अगस्त को फहरा रहे हैं भारत का राष्ट्रीय ध्वज
नई दिल्ली। 74 वर्ष पहले 15 अगस्त 1947 को भारत को गुलामी की बेड़ी से आजादी मिली और हर एक देशवासी खुली हवा में सांस ले रहा था। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने सच ही कहा था यह एक सपने के पूरा होने जैसा है। आजादी के इस सफर में साल दर साल गुजरते गए और लोकतंत्र का रंग निखरता गया यूं कहें कि तरुणाई वाला भारत 74 साल के इस सफर परिपक्व भारत बन चुका है। स्वतंत्रता दिवस की 74वीं वर्षगांठ पर पीएम नरेंद्र मोदी बुलंद इमारत के परकोटे से क्या कुछ बोलेंगे उस पर हर किसी की नजर रहेगी।
कोरोना काल में 74वां स्वतंत्रता दिवस
इस वर्ष का स्वतंत्रता दिवस ऐसे समय में मनाया जाएगा जब देश कोरोना महामारी का सामना कर रहा है। कोरोना ने बहुत कुछ बदल दिया है लिहाज लालकिले पर भी बदलाव नजर आएगा। लेकिन उत्साह का ज्वार उफान पर है। हर किसी को उस बेला का इंतजार है जब पीएम नरेंद्र मोदी राष्ट्रपिता को नमन करने के साथ वीर सेनानियों के त्याग को याद करते हुए लालकिले की प्राचीर पर झंडारोहण करेंगे।यही नहीं इंतजार उस पल का भी रहेगा जब वो भूली बिसरी घटनाओं को वर्तमान से जोड़कर भारत के उज्ज्वल भविष्य से संबंधित बातें कहेंगे।
74वां स्वतंत्रता दिवस
- इस वर्ष 15 अगस्त को एक महिला सेना अधिकारी द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी, जब वो शनिवार को भारत के 74 वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिल्ली में लाल किले पर तिरंगा फहराएंगे।
- राजनयिकों, अधिकारियों और मीडियाकर्मियों सहित चार हजार से अधिक लोगों को आमंत्रित किया गया है
- कोविड-19 प्रोटोकॉल के संतुलन को ध्यान में रखते हुए कार्यक्रम का आयोजन
- दो अतिथियों के बीच दो गज की दूरी पर खास ध्यान
- सलामी गारद पेश करने वाले सदस्यों को क्वारंटीन में रखा गया है।
- कार्यक्रम स्थल पर मास्क और सैनिटाइजर की खास व्यवस्था
दूसरे कार्यकाल में होगा दूसरा झंडारोहण
पीएम नरेंद्र मोदी 2014 से लगातार झंडारोहण करते आ रहे हैं। दूसरे कार्यकाल का दूसरा झंडारोहण होगा। पीएम मोदी आज के दिन जब देश और दुनिया के सामने होंगे तो सबकी नजर उनके परिधान और भाषण के समय पर होगी। इस खास मौके पर पीएम मोदी के परिधानों का चयन भी खास होता है। अब तक के परिधानों को देखें को उसमें भारत के संघर्ष, विकास और उम्मीद की न सिर्फ तस्वीर उभरती है बल्कि किसी न किसी राज्य से उसका संबंध भी होता है।