- लोक जनशक्ति पार्टी में पशुपति पारस की अगुवाई में हुई फूट
- संसदीय दल के नेता चुने गए पशुपति पारस, चिराग को झटका
- पशुपति ने कहा-चिराग अभी भी राष्ट्रीय अध्यक्ष, उनसे शिकायत नहीं
नई दिल्ली : चिराग पासवान अपने चाचा पशुपति पारस के दर से खाली हाथ लौटे हैं। पशुपति की अगुवाई में पार्टी के पांच सांसदों द्वारा बागी तेवर अपनाए जाने के बाद सोमवार को चिराग अपने चाचा के घर उनसे मिलने पहुंचे लेकिन करीब आधे घंटे के इंतजार के बाद उनकी मुलाकात अपने चाचा से नहीं हो पाई। इसके बाद चिराग वापस लौट गए। इस बीच, पशुपति पारस को लोकसभा में पार्टी का संसदीय दल का नेता चुन लिया गया है। इसके पहले अपने आवास पर पत्रकारों के साथ बातचीत में पशुपति ने कहा कि यह फैसला उन्हें मजबूरी में करना पड़ा। पिछले 21 साल से पार्टी बहुत अच्छे ढंग से चल रही थी लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ने का फैसला गलत था।
हमें चिराग से कोई शिकायत नहीं-पशुपति
दिवंगत राम विलास पासवान के छोटे भाई ने कहा कि एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ने के चिराग के फैसले से पार्टी के 99 प्रतिशत कार्यकर्ता और नेता नाराज थे। पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाओं की अनदेखी करते हुए अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया गया। एलजीपी के पांच सांसद चाहते थे कि पार्टी बची रहे। उन्होंने कहा, 'हमें चिराग पासवान जी से कोई शिकवा-शिकायत नहीं है। वह आज भी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। जो लोग नाराजगी की वजह से पार्टी छोड़कर चले गए हैं, मैं उनसे दोबारा पार्टी में शामिल होने की अपील करता हूं।' पशुपति ने कहा कि पांच सांसदों ने लोकसभा के स्पीकर ओम बिड़ला को पत्र लिखा है, बुलाने पर वे लोग स्पीकर से मिलने जाएंगे।