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Chhattisgarh:'कृषि, जल संरक्षण, खाद्य प्रसंस्करण व संबंध क्षेत्र के विकास' पर गठित टॉस्क फोर्स की बैठक

Updated Sep 21, 2021 | 21:53 IST

Chhattisgarh News: टॉस्क फोर्स के अध्यक्ष प्रदीप शर्मा द्वारा अंतर्विभागीय विषयों को चिन्हाकित कर अन्य विभागों की गतिविधियों पर पड़ने वाले प्रभाव को भी संज्ञान में रख कर अनुशंसाएं दिए जाने का आग्रह किया गया।

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रायपुर: छत्तीसगढ़ राज्य योजना आयोग (Chhattisgarh State Planning Commission) की कृषि, जल संवर्धन, खाद्य प्रसंस्करण एवं संबद्ध क्षेत्रों के विकास हेतु गठित टॉस्क फोर्स की बैठक मुख्यमंत्री के सलाहकार एवं टास्क फोर्स के अध्यक्ष श्री प्रदीप शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक में टॉस्क फोर्स अंतर्गत गठित नौ वर्किंग ग्रुप यथा- कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, मत्स्य पालन, एन.जी.जी.बी., सहकारिता, खाद्य प्रसंस्करण, एग्रोफोरेस्ट्री, जल संरक्षण द्वारा अनुशंसा संबंधित ड्राफ्ट रिपोर्ट का प्रस्तुतिकरण दिया गया। बैठक में श्रीमती चंदन संजय त्रिपाठी, संचालक, पशु चिकित्सा सेवाएं द्वारा सुझाव दिया गया कि प्रदत्त अनुशंसाओं से कृषको के सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर पड़ने वाले प्रभावों का भी समावेश किया जाए। 

'कृषकों के रिकार्ड के डिजिटाईजेशन को आवश्यक बताया'

प्रोफेसर श्रीजित् मिश्र, इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलेपमेंट रिसर्च, मुम्बई द्वारा कृषि के क्षेत्र में विभिन्न योजनाओं के प्रभावी अभिसरण की बात कही गई। उन्होंने छत्तीसगढ़ शासन द्वारा हाल ही में क्रियान्वित किये गये मिलेट मिशन को राज्य के लिए बहुत उपयोगी बतलाया। उन्होंने कृषकों के रिकार्ड के डिजिटाईजेशन को आवश्यक बतलाया। श्री अमलोरपवनाथन, सेवानिवृत्त डीएमडी, नाबार्ड ने कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में क्रेडिट कवरेज को बढ़ाये जाने हेतु आवश्यकता बतलाई। उन्होंने पशुपालन के क्षेत्र में पशुधन उत्पादकता बढ़ाये जाने हेतु नवीनतम तकनीक लागू किये जाने की आवश्यकता पर जोर दिया। श्री कौशल चन्द्राकर, अध्यक्ष मत्स्य पालन, वर्किंग ग्रुप द्वारा मछली पालन के राज्य में व्यवसायीकरण की अपार संभावनाओं के बारे में जानकारी दी तथा शासन द्वारा हाल ही में मछली पालन को कृषि का दर्जा दिये जाने को सराहनीय कदम बतलाया। 

'नरवा, गरूवा, घुरूवा, बारी गांव ल बचाना है संगवारी'

डॉ. नीतू गौरडिया, संयुक्त संचालक, राज्य योजना आयोग द्वारा राज्य में सतत् विकास लक्ष्यों के क्रियान्वयन हेतु तैयार किये गये फ्रेमवर्क में शामिल इंडिकेटर अंतर्गत बेहतर स्कोर की प्राप्ति हेतु इंडिकेटर संबंधित गतिविधि और योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन की बात कही। छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना के संदेश 'गढ़बो नवा छत्तीसगढ़' अंतर्गत छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी- 'नरवा, गरूवा, घुरूवा, बारी गांव ल बचाना है संगवारी' के आदर्श पर प्रभावी क्रियान्वयन हेतु सुझाव व चर्चा की गई। छळळठ पर गठित वर्किंग ग्रुप द्वारा गौठानों में वर्ष भर चराई की व्यवस्था हो, पशुओं हेतु फेंसिंग युक्त चारागाहों को विकसित करना, वर्ष भर पशुओं की पौष्टिक चारा, पैरा उपलब्ध कराना बेहतर पशु चिकित्सा एवं नस्ल सुधार सेवाएं जैविक कृषि, आर्गेनिक कृषि हेतु वर्मी कम्पोस्ट खाद्य उत्पादन, नरवा के संवर्धन और संरक्षण पानी की उपयोगिता, जैव विविधता, बाडियों के विकास, पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट तथा रूरल इंडस्ट्रियल पार्क विषयों पर सुझाव दिये गये।
    
कृषि पर गठित वर्किंग ग्रुप द्वारा कृषि क्षेत्र में विकास के लिए जलग्रहण सिद्धांतो का पालन कर प्राकृतिक सीमा में समग्र रूप से योजना बनाकर क्रियान्वयन की आवश्यकता बतलाई। इस योजना में प्राकृतिक और जैविक खेती फसल विविधीकरण, उत्पादों का संग्रहण प्रोसेसिंग, पैकेजिंग एवं ब्रांडिंग कर कृषक संगठनों को बाजार की मांग के अनुसार सजग किया जावे। वंचित वर्गों, महिलाओं, युवा वर्ग को प्रशिक्षित कर कौशल उन्नयन को आवश्यक बतलाया। कच्चे उत्पादों के स्थान पर उत्पादों को परिष्कृत कर बेचने से कृषक अधिक लाभ कमा सकते है। भूमि के अनियंत्रित डायवर्सन तथा कब्जे को रोका जाना, सामूहिक खेती को बढ़ावा दिया जाना, किसान तथा भूमि की परिभाषा को व्यापक बनाया जाने की आवश्यकता पर बल दिया गया।

वैक्सीन इत्यादि हेतु प्रभावी कोल्ड चैन व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण पर जोर

पशुपालन विषय पर गठित वर्किंग ग्रुप द्वारा पशुओं के नस्ल सुधार हेतु नवीनतम तकनीक जैसे- हीटसिन्क्रोनाईजेशन आदि के उपयोग की बात कही। संचालक, पशु चिकित्सा सेवायें द्वारा पशुधन संबंधी उत्पादों एवं वैक्सीन इत्यादि हेतु प्रभावी कोल्ड चैन व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण पर जोर दिया। डॉ. शंकर लाल उईके, मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा गौठान ग्रामों में पशुपालन एवं कुक्कुट विकास संबंधित गतिविधियों को सघनता से लिये जाने पर जोर दिया। 

राज्य में मछली प्रसंस्करण पर फिर से विचार करने की जरूरत

मत्स्य पालन पर गठित वर्किंग ग्रुप द्वारा बतलाया गया कि देश में अंतर्देशीय मत्स्य उत्पादन में छत्तीसगढ़ राज्य छठे स्थान पर है। छत्तीसगढ़ राज्य में देश के शीर्ष तीन मत्स्य उत्पादक राज्यों में पहुंचने की पूरी क्षमता है। राज्य में उन्नत मत्स्य पालन तकनीकों जैसे- बायोफ्लोक, आरएएस एक्वापोनिक्स और बेहतर बाजार सुविधाओं के कार्यान्वयन से राज्य में मत्स्य पालन नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगा। स्थानीय और देशी मछली की प्रजातियों के पालन और संरक्षण से स्थानीय और देशी मछली की प्रजातियों के संरक्षण में मदद मिलेगी। ऐसी प्रजातियों का पंजीकरण और सजावटी मछलियों के रूप में उनका उपयोग करने से भी उनकी आबादी को बढ़ाया जा सकता है। राज्य में मछली प्रसंस्करण पर फिर से विचार करने की जरूरत है। हालांकि राज्य मछली उत्पादन में आत्मनिर्भर है, लेकिन मछली उत्पादों और अन्य मूल्य वर्धित उत्पादों के संरक्षण के लिए बर्फ संयंत्रों, मछली प्रसंस्करण संयंत्रों, कोल्ड स्टोरेज की स्थापना की सख्त जरूरत है। राज्य सुरक्षित मत्स्य एवं गुणवत्तायुक्त मत्स्य बीज उत्पादन की ओर बढ़ रहा है, अतः गुणवत्तायुक्त बीज उत्पादन हेतु मत्स्य ब्रुड बैंक स्थापित करने की आवश्यकता है।

जल संसाधन विभाग के वर्किंग ग्रुप द्वारा जल के महत्व एवं सीमित उपलब्धता को देखते हुए समस्त नागरिकों से अत्यंत समझदारी पूर्वक उपयोग की आवश्यकता पर बल दिया। कम वर्षा की स्थिति में कृषि हेतु पेयजल व उद्योगों के लिए सुनिश्चित उपलब्धता पर चर्चा की गई। विभिन्न वृहद परियोजनाओं की जरूरत तथा उनके निर्माण में आने वाली मुख्य बाधाओं के निराकरण पर प्रकाश डाला गया। कम जल वाली फसलों को प्रोत्साहन तथा फसलों के अधिकतम उत्पादन हेतु अलग-अलग अवधि में आवश्यक जल की मात्रा आदि पर जागरूकता करने की जरूरत बताई गई। निस्तारी तलाबों के भरने के लिए दक्ष तंत्र निर्माण, भूजल की रिचार्जिंग व सतत् मॉनिटरिंग एवं भूजल नियंत्रण के कानूनों का कड़ाई से पालन करने की आवश्यकता बताई गई। 

खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना और उनके विस्तार पर चर्चा

खाद्य प्रसंस्करण पर गठित वर्किंग ग्रुप ने छत्तीसगढ़ में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना और उनके विस्तार पर चर्चा की। बैठक में बतलाया गया कि खाद्य प्रसंस्करण की वर्तमान तकनीक पारंपरिक ढंग से ही लागू है, जिससे खाद्य पदार्थों को कुछ समय के लिए संरक्षित किया जाता है। इस प्रक्रिया में गुणवत्तापूर्ण लंबे समय तक खाद्य पदार्थ संरक्षित नहीं रख पाते है। छत्तीसगढ़ राज्य में गुणवत्तापूर्ण उत्पादों हेतु उच्च गुणवत्ता के बीज, आधुनिक पैकेजिंग, उत्पादों का ब्रांडिंग तथा उत्पादक कृषक एवं उद्योगपति को प्रशिक्षण उपलब्ध कराना होगा। राज्य में मान्यता प्राप्त आधुनिक लैब स्थापित करना, सभी जिलों में संग्रहण हेतु कोल्ड स्टोरेज, वेयर हाउस, ड्रायर हाउस का विकास करना होगा। खाद्य प्रसंस्करण से संबंधित सभी योजनाओं का क्रियान्वयन एक छत के तहत होने से ज्यादा सुविधाजनक ढंग से प्रतिपादन किया जा सकेगा। केंद्र संचालित प्रमाणीकरण, लाइसेंस इत्यादि हेतु जिला स्तर पर व्यवस्था होना चाहिए। पैकेजिंग आकर्षक एवं ब्रांडिंग होने से उत्पादक को जिला, राज्य और अंतर्राज्यीय बाजार भी उपलब्ध होगा। गांवों में स्थापित हो रहे बाड़ियों और  गौठानों में वहां उत्पादित होने वाली फसलें और हार्टिकल्चर उत्पादों के प्रोसेसिंग या पैकेजिंग की छोटी-छोटी यूनिट गांव के ही सहकारी समितियों और महिला समितियों के माध्यम से लगाई जा सकने का सुझाव भी आया, जिससे वहॉ उत्पादित उत्पादों का मूल्य संवर्धन होगा तथा ग्रामीणों की आय में वृद्धि होगी।

वृक्षारोपण को बढ़ावा देने हेतु लैण्ड सेलिंग एक्ट में छूट का प्रावधान किया जाना उचित होने की बात

उद्यानिकी पर गठित वर्किंग ग्रुप द्वारा क्लस्टर एप्रोच के तहत सामुदायिक फलोद्यानों का विकास, फलों के भण्डारण की समुचित व्यवस्था, उत्पादन के ऑकड़ो के अनुसार प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना की जाने, जिससे मूल्य संवर्धन कर तैयार उत्पादों का बाजार में विक्रय, पोस्ट हार्वेस्ट इकाई की स्थापना हेतु अनुदान में वृद्धि करने की आवश्यकता बतलाई। एफ.पी.ओ. और कृषक उद्यमियों द्वारा संचालित लघु प्रसंस्करण इकाईयों के प्रसंस्कृत उत्पाद की ब्रांडिंग कर मार्केटिंग की व्यवस्था किये जाने हेतु रणनीति की आवश्यकता बतलाई। तेलंगाना राज्य के तर्ज पर तेलंगाना राज्य सहकारी समिति मर्यादित का गठन कर प्रसंस्करण के क्षेत्र में प्रयास किया जा सकता है। वृक्षारोपण को बढ़ावा देने हेतु लैण्ड सेलिंग एक्ट में छूट का प्रावधान किया जाना उचित होने की बात कही। उल्लेखनीय है कि इन वर्किंग ग्रुप द्वारा दी गई अनुशंसाओं में से मुख्य अनुशंसाओं को चिन्हांकित कर टॉस्क फोर्स द्वारा शासन को प्रेषित किया जाना है।

बैठक में ये अहम लोग रहे उपस्थित

बैठक में श्रीमती चंदन संजय त्रिपाठी, संचालक, पशु चिकित्सा सेवायें, डॉ. नीतू गौरडिया, संयुक्त संचालक, राज्य योजना आयोग, डॉ. व्ही.के. शुक्ला, संचालक, मछली पालन, सुश्री नमिता मिश्रा, एफ.ई.एस., गोपिका गबेल, डॉ. शंकरलाल उईके, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, छत्तीसगढ़ राज्य अभिकरण, अवर सचिव, कृषि,  भूपेन्द्र पाण्डेय, अपर संचालक, उद्यानिकी, मनोज अम्बस्ट, उप संचालक, उद्यानिकी, डॉ. जेड.एच. शम्स, डॉ. आर.के. प्रजापति, वैज्ञानिक, आई.जी.के.व्ही.व्ही.,  एस.सी. पदम, अपर संचालक, कृषि, श्री आर.के. नगरिया, मुख्य अभियंता, जल संसाधन,  सरोज महापात्रा, प्रदान, सतीश अवस्थी, कृषि विभाग, अविनाश श्रीवास्तव, ओ.एस.डी., अपेक्स बैंक, श्री विरेन्द्र तिवारी, अधीक्षण अभियंता, जल संसाधन, श्री शिरीष कल्याणी, निरजा कुद्रीमोती तथा विभाग एवं संबंधित संस्थाओं के अधिकारी उपस्थित थे।

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