- सत्ताधारी पार्टी के राजनीतिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल की गई पूरी सरकारी मशीनरी- NHRC
- एनएचआरसी ने कहा- राज्य में हजारों नागरिकों ने हत्या, बलात्कार, विस्थापन और धमकी का सामना किया
- यह इस महान देश में लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी हो सकती है- एनएचआरसी
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा की जांच के लिए गठित राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने कलकत्ता हाईकोर्ट को अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंप दी है। कोर्ट ने रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए कहा है कि वह 22 जुलाई को मामले की सुनवाई करेगा। टाइम्स नाउ ने 50 पन्नों की रिपोर्ट को एक्सेस किया, जिसमें बताया गया है कि कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर की धरती पश्चिम बंगाल में तब 'कानून का राज' नहीं, 'शासक का कानून' चल रहा है।
रवींद्रनाथ टैगोर की धरती पर हिंसा
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 2 जुलाई को भी इसी तरह की टिप्पणी की थी। जिसमें कहा गया था कि राज्य में चुनाव समाप्त होने के बाद मई में हुई हिंसा के बारे में इनकार कर रही है। कोर्ट ने कहा था कि यह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि चुनाव के बाद हिंसा वास्तव में हुई थी।' रवींद्र नाथ टैगोर की "व्हेयर द माइंड इज विदाउट फियर" कविता का हवाला देते हुए, NHRC ने बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा की अपनी सबसे कड़ी निंदा जारी की।
तो दूसरे राज्यों में फैल सकती है बीमारी
रिपोर्ट में कहा गया 'यह वास्तव में विडंबना है कि टैगोर की भूमि, जहाँ मन निर्भय है और सिर ऊँचा है; .... हजारों लोग पिछले कुछ महीनों में हत्या, बलात्कार, विस्थापन और धमकी के प्रत्यक्ष गवाह रहे हैं।' रिपोर्ट में इसे "चिंताजनक प्रवृत्ति" बताते हुए जोर दिया गया है कि अगर इस पर कार्रवाई नहीं की गई तो यह बीमारी दूसरे राज्यों में फैल सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है, 'यदि उपर्युक्त चिंताजनक प्रवृत्ति को सुधारा नहीं गया जहां सत्ताधारी पार्टी के राजनीतिक उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए पूरी सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल किया गया है, तो यह बीमारी अन्य राज्यों में भी फैल सकती है।'
रोकने का किया आग्रह
एनएचआरसी ने कहा, 'यह इस महान राष्ट्र में लोकतंत्र के कत्लेआम की घंटी हो सकती है। अब समय आ गया है कि इस तरह की प्रवृत्ति को रोका जाए और इस देश में एक जीवंत लोकतंत्र के हित में इस प्रवृत्ति को उलट दिया जाए। 1.35 अरब लोगों का देश हमें सांस रोककर देख रहा है।' NHRC ने कहा।'