- 'ऑपरेशन मुख्यमंत्री' में संजय निषाद का चेहरा बनेकाब हो गया
- संजय निषाद ने वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी को धमकी दी है
- मुकेश सहनी का कहना कि निषाद समाज को बरगला रहे हैं संजय
नई दिल्ली : 'टाइम्स नाउ नवभारत' के 'ऑपरेशन मुख्यमंत्री' में निषाद पार्टी के मुखिया संजय निषाद का चेहरा पूरी तरह बेनकाब हो गया है। कैमरे पर उन्होंने यूपी चुनावों में अपनी सीटें बेचने से लेकर थाना जलाने एवं मर्डर कराने तक की बात कबूली है। चैनल के स्टिंग में उन्होंने कहा है कि वीआईपी पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी अगर यूपी आए तो वह उन्हें मारकर भगा देंगे। निषाद ने कहा कि 'उनसे बड़ा गुंडा कौन है, सहनी आया तो उसे मारकर भगा देंगे।' निषाद ने कहा कि वह सहनी की गाड़ी फूंक देंगे और जरूरत पड़ी तो दो-चार लोगों को जला देंगे। चैनल ने इस स्टिंग ऑपरेशन पर जब निषाद से बात करनी चाही तो वह सवालों से बचते नजर आए। उन्होंने स्टिंग ऑपरेशन को झूठा बताया। चैनल के इस खुलासे के बाद संजय निषाद ने खुद को कमरे में बंद कर लिया है, वह किसी से मिल नहीं रहे हैं।
निषाद को थाना जलाने, मर्डर से परहेज नहीं
संजय निषाद चुनाव जीतने के लिए मर्डर कराने और थाने में आग लगाने की अपनी साजिश के बारे में बताने लगे। वह कहते हैं, 'हमारे लोग तो थाना फूंकने वाले हैं। हमसे बड़ा गुंडा कौन होगा।' दावा है कि चुनाव में मर्डर करना पड़े तो वह भी करेंगे और चुनाव बाद केस वापस करा लेंगे। वह आगे कहते हैं, 'हमने बहुत बड़ी जमीन ली है। हम लोगों को ट्रेन करते हैं, उन्हें बताते हैं कि वह गरीब क्यों है। मुकेश सहनी अगर आएगा तो उसे मारकर भगा देंगे। सहनी की गाड़ी फूंक देंगे। दो-चार लोगों को जला देंगे।' निषाद की बातों से साफ जाहिर है कि निषाद आपराधिक प्रवृत्ति के नेता हैं।
सहनी ने टाइम्स नाउ नवभारत को धन्यवाद कहा
वीआईपी के अध्यक्ष मकेश सहनी ने कहा कि वह निषाद समाज को बर्बाद कर रहे हैं। पिछड़े समाज को बरगला रहे हैं। हत्या कराने की वह राजनीति करते हैं। वह यह सब करा सकते हैं। वह समाज नहीं अपने परिवार की राजनीति कर रहे हैं। निषाद अपनी दुकान चला रहे हैं और सौदे की राजनीति कर रहे हैं।
जनता तय करे कि ऐसे नेताओं को वोट नहीं देंगे-प्रदीप सिंह
इस खुलासे पर 'टाइम्स नाउ नवभारत' से बातचीत में राजनीतिक विश्लेषक प्रदीप सिंह ने कहा कि यह राजनीति कि ऐसी असलियत है जिसे जानते तो सभी हैं लेकिन इसे स्वीकार नहीं करते। इसमें मतदाताओं का कोई दोष नहीं है लेकिन मतदाताओं को यह तय करना होगा कि वे पैसे लेकर सीटें बेचने वाले नेताओं एवं पार्टियों को वोट नहीं करेंगे। तभी जाकर इस पर रोक लगेगी।