- कोर्ट ने बेनामी संपत्ति लेन-देन निषेध अधिनियम, 1988 की धारा 3 (2) को असंवैधानिक घोषित किया है
- 2016 से पहले के बेनामी संपत्तियों के मामलों में सजा देने के लिए सरकार ने अधिनियम में संशोधन किया था
- कोर्ट के इस फैसले से उन लोगों को राहत मिली है जो बेनामी संपत्ति मामले में संलिप्त और आरोपी थे
Benami Property Transactions Act : बेनामी संपत्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बड़ा फैसला दिया। कोर्ट ने बेनामी संपत्ति लेन-देन निषेध अधिनियम, 1988 की धारा 3 (2) को असंवैधानिक घोषित किया है। कोर्ट ने कहा है कि साल 2016 में संशोधित बेनामी अधिनियम को पिछली तारीख से लागू नहीं किया जा सकता। अदालत ने कहा है कि 2016 से पहले की बेनामी संपत्तियों के लेन-देन में शामिल लोगों को अब सजा नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने बेनामी संपत्तियों की लेन-देन में शामिल लोगों को सजा देने के लिए अधिनियम में संशोधन किया था। सजा के प्रवाधानों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। चुनौती देने वाली अर्जियों पर सुनवाई करते हुए सीजेआई की पीठ ने 1988 की धारा 3 (2) को असंवैधानिक घोषित किया। अदालत ने साफ कर दिया है कि 2016 का एक्ट रेट्रोस्पेक्टिव लागू नहीं होगा। कोर्ट के इस फैसले से उन लोगों को राहत मिली है जो बेनामी संपत्ति मामले में संलिप्त और आरोपी थे।
क्या होती है बेनामी संपत्ति
बता दें कि देश में काले धन पर रोक लगाने के लिए मोदी सरकार ने साल 2016 में बेनामी संपत्ति कानून, 1988 में संशोधन किया। बेनामी संपत्ति वह संपत्ति होती है जिसकी कीमत किसी और ने अदा की है लेकिन उस संपत्ति पर मालिकाना हक किसी और का हो। इस तरह की संपत्तियां पत्नी, बच्चों एवं किसी रिश्तेदार के नाम पर हो सकती हैं। 2016 के संशोधन में बेनामी संपत्तियों को जब्त एवं सील करने का प्रावधान किया गया। इस संशोधन के बाद उस संपत्ति को भी बेनामी मानाय गया जो किसी फर्जी नाम से खरीदी गई।