- जातिगत जनगणना की मांग को लेकर पीएम मोदी से मिलेंगे तेजस्वी यादव
- इस मुद्दे पर सीएम नीतीश कुमार और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव एक साथ हैं
- तेजस्वी यादव का कहना है कि अन्य जातियों को ओबीसी में डालने के लिए आंकड़ा जरूरी है
नई दिल्ली : जाति आधारित जनगणना की मांग को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बिहार की विपक्षी पार्टियां सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिल रही हैं। जातिगत जनगणना कराए जाने पर जनता दल-यूनाइटेड और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) एक साथ हैं। पीएम मोदी से मुलाकात से पहले राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि जाति आधारित जनगणना कराए जाने से जातियों का वास्तविक आंकड़ा सामना आएगा। इस आंकड़े के आधार पर जातियों को ओबीसी श्रेणी में डाला जा सकेगा।
जाति आधारित जनगणना समय की मांग-तेजस्वी
मीडिया से बातचीत में तेजस्वी ने कहा, 'कुछ लोग कहते है जातिगत जनगणना कराने से भेदभाव होता है। अगर ऐसा है तो धर्म के नाम पर भी गिनती नहीं करानी चाहिए। इससे भी भेदभाव होगा। देश के करीब 11 प्रतिशत अमीर लोगों के पास 90 प्रतिशत जमीन है और देश के 90 प्रतिशत लोगों के पास जमीन नौ फीसदी ही है। इससे गरीब और अमीर के बीच तनाव हो सकता है अमीर और गरीब का आंकड़ा तो हमारे पास है, फिर भी तनाव की परिस्थिति कभी सामने नहीं आई। अभी कानून बना है कि अब राज्य तय करेंगे कि कौन सी जाति को ओबीसी में डालना है लेकिन यह किस आधार पर होगा। आपके पास जब आंकड़े होंगे तब आप तय कर पाएंगे कि कौन सी जाति को ओबीसी श्रेणी में डालनी है। धर्म के नाम पर जनगणना यदि हो रही है तो उसमें केवल एक कॉलम भर जोड़ना है, इसमें खर्च भी नहीं आएगा। इन सारे बिंदुओं पर हम प्रधानमंत्री के साथ चर्चा करेंगे।'
वहीं, नीतीश कुमार ने कहा कि आदरणीय पीएम से हमने समय मांग है। जाति आधारित जनगणना की मांग को लेकर सभी पार्टियों के नेता प्रधानमंत्री जी से मिल रहे हैं।