- ई-हाइवे के दूसरे और अंतिम चरण का ट्रायल शुरू
- एनएचईवी की ओर से शुरू किया है ट्रायल
- यह परीक्षण भारतीय राजमार्गों को ईवी-राजमार्ग में बदलने में सुविधा प्रदान करेगा
Jaipur Electric Vehicles: नेशनल हाइवे फॉर इलेक्ट्रिकल व्हिकल (एनएचईवी) की ओर से दिल्ली से जयपुर ई हाइवे के लिए दूसरे और अंतिम चरण के ट्रायल रन हो गई है। इसकी शुरुआत दिल्ली के इंडिया गेट से की गई। बता दें कि इसमें 278 किलोमीटर हाइवे पर इलेक्ट्रिक बस और कार को एक महीने के लिए वहां लगे चार्जर और तकनीक के साथ ट्रायल करने की तैयारी है। इस ट्रायल रन का उद्देश्य ये है कि, 278 किलोमीटर लंबे दिल्ली जयपुर हाइवे के साथ इलेक्ट्रिक व्हिकल्स के बुनियादी ढांचे की आर्थिक व्यवस्था को समझा जा सके।
एनएचईवी की ओर इस टेक-ट्रायल रन का पहला चरण पिछले साल यमुना एक्सप्रेसवे पर दिल्ली-आगरा के बीच हाइवे पर शुरू किया गया था। बता दें कि एनएचईवी के प्रोग्राम डायरेक्टर अभिजीत सिन्हा ने बताया है कि दिल्ली-आगरा हाइवे पर 210 किलोमीटर के पिछले टेक-ट्रायल रन शुरू करने के बाद, 278 किलोमीटर की दूरी वाले वर्तमान ट्रायल रन-II तकनीकी और वाणिज्यिक दोनों पहलुओं का टेस्ट करेगा। उन्होंने ये भी कहा कि यह परीक्षण भारतीय राजमार्गों को ईवी-राजमार्ग में बदलने में सहूलियत प्रदान करेगा।
जानिए इलेक्ट्रिक हाइवे के बारे में
बता दें कि यह इलेक्ट्रिक हाइवे उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान से गुजरने वाला है। पूरे यात्रा के दौरान यहां 20 चार्जिंग स्टेशन और 10 इंका डिपो बनाने की योजना है। सिन्हा ने बताया कि इस कॉमर्शियल ट्रायल के बाद देश के पहले पांच सौ किलोमीटर के इलेक्ट्रिक हाइवे बनने का रास्ता क्लीयर हो जाएगा। उन्होंने बताया कि इस ट्रायल में प्रत्येक स्तर के भागीदारों के हितों को सुरक्षित करने की तैयारी है, जिसमें इलेक्ट्रिक वाहनों के यूजर, इलेक्ट्रिक वाहन के यात्री स्टेशन, कैब सर्विस के ऑपरेटर स्टेशन, इन्फ्रा के निवेशक, बैंक, राज्य व केंद्र सरकार प्रमुख रूप से हैं।
इस ट्रायल की रिपोर्ट बनाई जाएगी
मिली जानकारी के अनुसार शुरुआती चरणों में एनएचईवी ने 500 किलोमीटर तक के राजमार्गों पर टेक-ट्रायल रन शुरू कर दिया है। बता दें कि टेक ट्रायल रन एक महीने के लिए एनएचईवी पार्टनर न्यूगो इलेक्ट्रिक मोबिलिटी कोच के साथ आयोजित होना है और इसमें राजमार्गों पर इलेक्ट्रिक व्हिकल्स से जुड़े सभी पहलुओं को शामिल करने की तैयारी है। इन ट्रायल के समय इलेक्ट्रिक व्हिकल्स की तकनीकी, आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक व्यवहार्यता का भी अध्ययन किया जाना है। इसके बाद निष्कर्षों और सिफारिशों वाली एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमंत्री के समक्ष विचार करने के लिए सरकार को दे दी जाएगी।