- आरक्षण सहित अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे गुर्जर समुदाय के लोग
- राजस्थान में सात ट्रेनों के मार्ग में बदलाव, सड़क मार्ग भी प्रभावित
- आंदोलनकारियों का कहना है कि राज्य सरकार को प्रदर्शन स्थल पर आना होगा
जयपुर : आरक्षण की मांग को लेकर राजस्थान का गुर्जर समुदाय एक बार फिर आंदोलन की राह पर है। राजस्थान सरकार के साथ जारी वार्ता के बीच समुदाय का आंदोलन जारी है। प्रदर्शनकारी भरतपुर में रेलवे ट्रैक पर बैठे हुए हैं। इससे इस मार्ग पर चलने वाली ट्रेनें प्रभावित हुई हैं। गुर्जर आरक्षण संघर्ष सिमिति की ओर से चलाए जा रहे इस आंदोलन में बड़ी संख्या में युवा शामिल हुए हैं। प्रदर्शनकारी भरतपुर के बयाना में रेल पटरियों पर बैठे हैं। आंदोलन को देखते हुए सात ट्रेनों का मार्ग बदला गया है।
सात यात्री ट्रेनों के मार्ग में बदलाव
उत्तर पश्चिमी रेलवे के प्रवक्ता ने बताया कि गुर्जर आंदोलन को देखते हुए रेलवे ने सात यात्री ट्रेनों के मार्ग में बदलाव किया है। हिंदौन सिटी-बयाना रेल मार्ग पर सात ट्रनों को डायवर्ट किया गया है। जिन ट्रेनों को डॉयवर्ट किया गया है उनमें हजरत निजामुद्दीन-कोटा, बांद्रा टर्मिनस-मुजफ्फरपुर, कोटा-देहरादून, इंदौर-हजरत निजामुद्दीन, हजरत निजामुद्दीन-इंदौर एवं हजरत निजामुद्दीन-उदयपुर और उदयपुर-निजामुद्दीन शामिल हैं।
हिंदौन सड़क मार्ग हुआ प्रभावित
संगठन के समन्वयक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने कहा कि वह राज्य के खेल एवं युवा मंत्री अशोक चंदना की जयपुर से बयाना आने का इंतजार कर रहे हैं। यह पूछे जाने पर कि यह आंदोलन कब तक चलेगा। इस पर बैंसला ने कहा कि यह सरकार पर निर्भर करता है। पुलिस का कहना है, 'यह आंदोलन दिल्ली-मुंबई रेल मार्ग को भी प्रभावित करेगा। आंदोलन की वजह से बयाना-हिंदौन सड़क मार्ग भी प्रभावित हुआ है।' रेलवे ट्रक पर प्रदर्शन में शामिल एक व्यक्ति ने कहा, 'इस बार हमारा शिष्टमंडल सरकार के साथ बातचीत करने के लिए नहीं जाएगा। सरकार यदि बात करना चाहती है तो वह यहां रेलवे ट्रक पर आए।'
कई जिलों में इंटरनेट सेवा बंद
गुर्जर आंदोलन को देखते हुए राज्य सरकार ने कई जिलों में इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया है। साथ ही भरतपुर, धौलपुर, सवाई माधोपुर, दौसा, टोंक, बूंदी, झालावाड़ और करौली जिलों में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) लागू है। संगठन गुर्जर आरक्षण को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने, बैकलॉग रिक्तियों को भरने, सर्वाधिक पिछड़ी जातियों (एमबीसी) को पांच प्रतिशत आरक्षण देने की मांग कर रहा है।