- जयपुर की 165 करोड़ की जल परियोजना को जल्द पूरा किया जाएगा
- टेंडर सम्बंधित सभी प्रक्रियाओं में आने वाली परेशानी को दूर करने के सरकार ने दिए आदेश
- इस परियोजना के तहत 9 लाख से ज्यादा लोगों को मिलेगा गुणवत्ता युक्त पानी
Jaipur Water Project: राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार जयपुर में 165 करोड़ की जल परियोजना को लेकर एक्शन में दिखाई दे रही है। जयपुर शहर के हवामहल समेत छह विधान सभा क्षेत्रों में पेयजल तंत्र को मजबूत करने और बीसलपुर सिस्टम से गुणवत्ता युक्त पेयजल सेवाओं के लिए 165 करोड़ की पेयजल परियोजना की राह अब आसान होती दिख रही है।
क्योंकि विभाग के इंजीनियर अब झालाना स्थित भू-जल विभाग से लेकर दिल्ली रोड स्थित न्यू फिल्टर प्लांट तक 18 किलोमीटर लंबी ट्रांसफर मेन लाइन के लगभग 50 करोड़ के टेंडर की दरें 34 प्रतिशत ज्यादा आने का मामले को सुलझाने में जुट गए हैं। सोमवार को जल भवन में निगोशिएशन स्टैंडिंग कमेटी की बैठक हुई। जिसमें फर्म के प्रतिनिधियों को भी बुलाया गया और टेंडर के लिए जो दरें दी गई हैं उनको कम करने की बात की गई।
तकनीकी समिति ने फर्म की ओर से दिए प्रस्ताव
सूत्रों के अनुसार फर्म ने टेंडर की दरें 7 प्रतिशत तक कम करने का प्रस्ताव विभाग को दिया है। तकनीकी समिति ने फर्म की ओर से दिए गए प्रस्ताव को मुख्य अभियंता शहरी सी.एम. चौहान के पास भेजा है, जहां से इस पर निर्णय के लिए वित्त समिति के पास भेजा जाएगा। अधिकारियों के अनुसार 50 करोड़ का टेंडर लगाया गया था। और फर्म की दरों के हिसाब से इसकी लागत लगभग 66 करोड़ रुपए तक पहुंच गई थी।
जल्द किया जाए समाधान
उधर मंत्री महेश जोशी ने कहा कि जयपुर शहर के परकोटा व इससे लगे वाले विधान सभा क्षेत्रों के लिए यह परियोजना बेहद महत्वपूर्ण है। अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि टेंडर की दरों को लेकर जो स्थितियां बनी हैं उनका समाधान जल्द से जल्द किया जाए। जिससे इस परियोजना पर काम शुरू हो सके और शहर के परकोटा क्षेत्र की 9 लाख से ज्यादा की आबादी को गुणवत्ता युक्त पेयजल सेवाएं मिल सकें। उन्होंने कहा है कि पहले ट्रांसफर मेन लाइन के टेंडर की प्रक्रिया पूरी हो। इंजीनियर कह रहे हैं कि इस परियोजना में सबसे पहले ट्रांसफर मेन लाइन के टेंडर की प्रक्रिया पूरी करनी चाहिए थी। क्योंकि जब तक बीसलपुर सिस्टम से पानी सप्लाई का रास्ता नहीं खुलेगा तब तक इन विधान सभा क्षेत्रों में सात पैकेज के तहत पेयजल तंत्र को मजबूत करने के लिए शुरू किए गए 60 करोड़ रुपए की लागत से ज्यादा के काम का कोई औचित्य ही नहीं रह जाएगा।