- राजस्थान बीजेपी में पोस्टर विवाद के बीच खेमेबाजी को लेकर भी कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं
- प्रदेश बीजेपी मुख्यालय से जून में उस पोस्टर को हटा दिया गया था, जिनमें वसुंधरा की तस्वीर थी
- पूर्व CM ने पोस्टर विवाद पर पहली बार टिप्पणी की है, जिसे उनके असंतोष के तौर पर देखा जा रहा है
जयपुर : राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने पार्टी में पोस्टर विवाद को लेकर पहली बार कुछ ऐसा कहा है, जिसे उनके असंतोष और बदलाव को लेकर उनके पलटवार के तौर पर देखा जा रहा है। ऐसे में अटकलें यह भी लगाई जा रही हैं क्या कांग्रेस की तरह ही राजस्थान बीजेपी में भी सबकुछ ठीक नहीं है?
राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री बुधवार को झालावार-बारन इलाके में बाढ़ प्रभावित इलाकों के दौरे पर पहुंची हुई थीं, जब उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत में पोस्टर विवाद को लेकर बयान दिया। उन्होंने कहा, 'मैं पोस्टर की बजाय लोगों के दिलों में राज करना चाहती हूं। मेरे काम को याद किया जाना चाहिए। पोस्टर्स से मुझे कुछ भी हासिल नहीं होगा। लोगों का प्यार और आशीर्वाद हासिल करने से अधिक कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं है।'
नेतृत्व के खिलाफ असंतोष!
वसुंधरा राजे के इस बयान को बीजेपी के उस फैसले के खिलाफ असंतोष के तौर पर देखा जा रहा है, जिसमें पार्टी की ओर से मिले दिशा-निर्देशों के बाद राजस्थान में बीजेपी मुख्यालय और कई जिलों में पोस्टर्स बदल दिए गए। इनमें राजस्थान की पूर्व सीएम रही वसुंधरा राजे को जगह नहीं मिली तो जून की शुरुआत में जयपुर स्थित बीजेपी मुख्यालय से वसुंधरा के पोस्टर को हटा भी दिया गया था। इसके बाद से ही प्रदेश बीजेपी में खेमेबाजी को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं और अब वसुंधरा के बयान के बयान के बाद ऐसी चर्चाओं ने एक बार फिर जोर पकड़ा है।
राजस्थान बीजेपी में पोस्टर विवाद बीजेपी नेतृत्व के उन दिशा-निर्देशों के बाद शुरू हुआ था, जिनमें उन राज्यों में बीजेपी के पोस्टर्स में एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा तो दूसरी तरफ पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और विपक्ष के नेता की तस्वीर लगाने का फैसला लिया गया, जहां पार्टी विपक्ष में है। विवाद खुलकर सामने तब आया, जब जयपुर स्थित बीजेपी मुख्यालय से वसुंधरा राजे की तस्वीर वाले पोस्टर को जून में हटा दिया गया। इसे प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनिया और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के बीच 'सत्ता संघर्ष' के तौर पर देखा गया। हालांकि बाद में बीजेपी के राजस्थान मामलों के प्रभारी अरुण सिंह ने स्पष्ट किया कि पोस्टर में बदलाव पार्टी की नीतियों में बदलाव को लेकर हाईकमान के निर्देशों के बाद किया गया था।