जयपुर : राजस्थान सरकार की मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना की शुरुआत के तीन महीने से भी कम समय में 1.21 लाख से अधिक दावों का निपटारा किया गया है। यह योजना उस समय आई जब देश कोविड महामारी की दूसरी लहर से जूझ रहा था। इसी दौरान मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के माध्यम से हासिल कैशलेस उपचार सुविधा ने कई लोगों के इलाज के खर्च को कम करने में मदद की। 1 मई 2021 को शुरू की गई मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में अब तक 1.3 करोड़ से अधिक परिवारों ने अपना पंजीकरण करा लिया है। इस तरह कहा जा सकता है कि प्रदेश की आबादी का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत कवर हो रहा है।
सरकार ने इसे बड़ी उपलब्धि बताई
स्टेट हेल्थ एश्योरेंस की सीईओ अरुणा राजोरिया ने कहा, ‘प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने निरोगी राजस्थान का विजन दिया है, और मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना इस दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है। हमारी प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि नागरिक अपने पास के अस्पताल में निशुल्क इलाज की सुविधा का लाभ उठा सकें।’
इसे सबसे सस्ती मेडिकल पॉलिसी माना जा रहा है
राजस्थान के सभी नागरिकों के लिए 850 रुपए प्रति परिवार के न्यूनतम प्रीमियम पर 5 लाख रुपए तक का कैशलेस वार्षिक बीमा कवर प्रदान करने वाली इस बीमा योजना को सबसे सस्ती मेडिकल पॉलिसी माना जा रहा है। दूसरी तरफ, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण 2011 के लाभार्थी, कोविड-19 अनुग्रह सूची, संविदा कर्मचारी और छोटे और सीमांत किसानों को तो इस योजना के लिए 850 रुपए का प्रीमियम भी नहीं भरना पड़ता है। उनके लिए इस योजना में पंजीकरण एकदम निशुल्क है।
योजना में ब्लैक फंगस का उपचार भी
राजस्थान सरकार पहले से ही सरकारी अस्पतालों के सभी रोगियों को मुफ्त दवा और निदान की सुविधा दे रही है, वहीं मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत सेवाओं का विस्तार करने के लिए कई निजी अस्पतालों को भी सूचीबद्ध किया है। राज्य सरकार भी इस योजना के तहत शामिल प्रक्रियाओं के अपने दायरे का लगातार विस्तार कर रही है। इसी क्रम में दूसरी लहर के दौरान संबंधित मामलों की संख्या में वृद्धि के रूप में म्यूकोर्मिकोसिस (ब्लैक फंगस) के उपचार को भी शामिल किया गया है।
शिकायतों के समाधान के लिए कॉल सेंटर
हालांकि इस योजना को प्रारंभिक चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा है, क्योंकि राज्य सरकार को ऐसी अनेक शिकायतें मिली हैं कि कुछ निजी अस्पतालों द्वारा इस योजना को लागू करने में आनाकानी की जा रही है। सरकार ने इस योजना से संबंधित हर कॉल और शिकायत का जवाब देने के चौबीस घंटे काम करने वाले कॉल सेंटर की स्थापना भी की है। हर जोन के लिए नोडल अधिकारी भी नियुक्त किए गए हैं ताकि हर शिकायत का समाधान हो और पंजीकृत लाभार्थी को सूचीबद्ध अस्पतालों में आसानी से उचित लाभ मिल सके।